Mar 13, 2025
होली का पर्व बेहद पावन है जिसे दुनिया भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है
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मुगलों के दौर में भी होली का त्यौहार बेहद धूमधाम और उत्सास के साथ मनाया जाता था
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मुगल बादशाह अपनी रानियों के साथ हरम में होली खेलते थे, जहां खास इंतजाम किए जाते थे
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बताते हैं कि हरम में पानी की जगह फूलों के रंग या गुलाबजल से भरे हौदों में होली खेली जाती थी और टेसू के फूलों का इस्तेमाल होता था
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होली के दौरान संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता था, और लोग रंग और इत्र से सजे हुए फव्वारों के पास इकट्ठा होते थे
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वहीं मुगल बादशाह बाबर ने जब देखा कि लोग रंगों से भरे हौदिया में लोगों को उठाकर पटक रहे है, उसे ये पसंद आया और उसने हौदिया में शराब भरवा दी जिसमें लोगों को पटका जाने लगा
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अकबर अपने मनसबदारों और राजपूत रानियों के साथ होली खेला करता था जहांगीर व शाहजहां के समय भी मुगल दरबार में होली खेली जाती थी
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मुगल बादशाह जहांगीर को होली बहुत पसंद थी और वो होली के त्योहार पर महफिलों का आयोजन करवाते थे, तब होली को ईद-ए-गुलाबी भी कहते थे
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आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को होली का दीवाना माना जाता था वह बहुत उत्साह के साथ होली मनाते थे उनके लिखे होली के फाग आज भी गाए जाते हैं
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