जिगर मुरादाबादी के 10 मशहूर शेर: तेरी आंखों का कुछ क़ुसूर नहीं, हां मुझी को ख़राब होना था

Apr 06, 2025

जिगर मुरादाबादी के 10 मशहूर शेर: तेरी आंखों का कुछ क़ुसूर नहीं, हां मुझी को ख़राब होना था

Suneet Singh
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का, क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम

​इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का, क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम​

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आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है, जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है

​आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है, जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है​

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क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है, हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है

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​या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से, कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है​

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जब सारे रास्ते हो जाएं बंद तो याद कर लें...

​आदमी आदमी से मिलता है, दिल मगर कम किसी से मिलता है​

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​उस ने अपना बना के छोड़ दिया, क्या असीरी है क्या रिहाई है​

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​मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे, मिरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना​

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​पहले शराब ज़ीस्त थी अब ज़ीस्�� है शराब, कोई पिला रहा है पिए जा रहा हूँ मैं​

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​इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा, आदमी काम का नहीं होता​

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