Jan 20, 2023
26 वर्ष की उम्र में देश दुनिया मे ख्याति पाने वाले बागेश्वर धाम सरकार, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम गढ़ा में 8 साल से दिव्य दरबार लगा रहे हैं।
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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास स्थित गढ़ागंज ग्राम में हुआ था। इनका पैतृक घर भी यही पर है और उनके दादा पंडित भगवान दास गर्ग (सेतु लाल) भी यहां रहते थे।
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धीरेंद्र शास्त्री दो भाई एक बहन हैं। पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज है। इनकी मां सरोज इन्हें प्यार से घर में धीरू बुलाती हैं।
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इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री की पढ़ाई इन्होंने गांव के पास स्थित गंज गांव से की है।
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परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके पिता गांव में पुरोहित गिरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे और माता सरोज ने भैंस का दूध बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण किया।
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इस दौरान धीरेंद्र गांव में लोगों के बीच बैठकर कथा सुनाने लगे और उनकी शैली लोगों को पसंद आने लगी। 2009 में उन्होंने पहली बार गांव पहरा के खुडन में भागवत कथा सुनाई। यह क्रम चलता रहा और वह आसपास के क्षेत्र में कथा सुनाने लगे।
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इन्होंने गढ़ा गांव में स्थित शंकर जी के प्राचीन मंदिर को अपना स्थान चुना और यहां 2016 में बालाजी की मूर्ति स्थापित की। तब से यह स्थान बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाने लगा। श्री बाला जी महाराज के मंदिर के पीछे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा सेतुलाल गर्ग संन्यासी बाबा की समाधि भी है।
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महाराज के दरबार में लोग अपनी परेशानी लेकर पहुंचते हैं। वह पीड़ित के मन की बात पर्चे पर पहले ही लिख देते हैं। इनके दादा ने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा हासिल की थी। धीरेंद्र पर अपने दादा की विशेष कृपा है।
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धीरू पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बने बागेश्वर धाम के महाराज के भक्त लाखों की संख्या में हैं। आज दुनियाभर में उनकी कथा होती है।
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