Nov 09, 2024
ब्रह्मांड में मौजूद तारों की गणना करना नामुमकिन है, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्रह्मांड में लगभग 200 बिलियन ट्रिलियन तारे हैं।
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आसमान में बेहद चमकीले से लेकर मंद रोशनी वाले तक हर प्रकार के तारे दिखाई देते हैं, जिन्हें रात के समय आसानी से देखा जा सकता है।
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तारों के निर्माण की प्रक्रिया बेहद जटिल और लंबी है। इसकी शुरुआत गैस और धूल के बादलों से शुरू होती है, जिन्हें नेबुला कहा जाता है।
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नेबुला में हाइड्रोजन और हीलियम होती है, लेकिन ब्रह्मांडीय घटनाओं से जब नेबुला सिकुड़ता है तो तापमान और दबाव बढ़ने लगता है और गैस और धूल एक-दूसरे के पास आने लगती हैं।
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गैस और धूल के पास आने से गुरुत्वाकर्षण आकर्षण बढ़ता है और प्रारंभिक तारे का जन्म होता है, जिसे प्रोटोस्टार कहा जाता है।
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प्रोटोस्टार तारा नहीं होता है, लेकिन तारे जैसा दिखता जरूर है। शुरुआत में प्रोटोस्टार का केंद्र इतना गर्म नहीं होता है कि संलयन हो सके।
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प्रोटोस्टार का तापमान जब बढ़कर एक करोड़ डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है तो संलयन की प्रक्रिया शुरू होती है जिसमें हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम बनाते हैं। जिसकी बदौलत तारे की चमक और ऊर्जा उत्पन्न होती है।
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इसके बाद तारा अनुक्रम चरण से गुजरता है। इस दौरान हाइड्रोजन खत्म होने पर तारा रेड जायंट या सुपरजायंट बनता है। इसी प्रकार इसके मरने की प्रक्रिया भी बेहद जटिल है।
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