क्‍या है 64 कलाओं की मान्‍यता, भगवान राम और भगवान कृष्‍ण के पास क‍ितनी थी ये कलाएं

क्‍या है 64 कलाओं की मान्‍यता, भगवान राम और भगवान कृष्‍ण के पास क‍ितनी थी ये कलाएं

Feb 11, 2025

Medha Chawla
64 कलाएं

​64 कलाएं​

सनातन हिंदू धर्म में 64 कलाओं का व‍िशेष महत्व है। ये कलाएं व्यक्ति के संपूर्ण विकास, आत्मज्ञान, और सामाजिक समृद्धि के लिए जरूरी मानी जाती हैं।

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कला का अर्थ

​कला का अर्थ​

64 कलाएं विभिन्न कौशल और विद्या को दर्शाती हैं जैसे क‍ि नृत्य, संगीत, वास्तु शास्त्र, आयुर्वेद, काव्य, अस्त्र-शस्त्र विद्या और आदि।

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श्रीराम की कलाएं

​श्रीराम की कलाएं​

भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम माना जाता है और वे 16 प्रमुख कलाओं में निपुण माने जाते थे। इनकी इन्हीं कलाओं ने इन्‍हें एक आदर्श राजा बनाया था।

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​श्रीकृष्ण की कलाएं​

मान्‍यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है, जिन्होंने गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर 64 कलाओं को प्राप्त क‍िया था।

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​पुरुषार्थ और कलाएं​

पुरुषार्थ के धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के सिद्धांत में इन कलाओं का योगदान माने जाते है, जिससे व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्‍त करता है।

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​संगीत और नृत्य​

64 कलाओं में संगीत, गायन, वादन, और नृत्य जैसी कलाएं मनुष्‍य के आत्म-विकास और आनंद का स्रोत मानी जाती हैं।

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​शस्त्र-विद्या​

अस्त्र-शस्त्र चलाने की विद्या भी एक महत्वपूर्ण कला मानी जाती है। इससे योद्धा स्वयं और प्रजा की रक्षा और धर्म की स्थापना करने के ल‍िए सक्षम होता है।

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​चित्रकला एवं शिल्पकला​

कला, चित्रकारी, मूर्तिकला, भवन निर्माण, वस्त्र निर्माण आदि भी इनमें आते हैं। इनके अनुसरण से जीवन और संस्कृति को समृद्ध बनाया जा सकता है।

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​योग एवं आयुर्वेद​

योग, ध्यान और आयु��्वेद चिकित्सा के व‍िधान भी 64 कलाओं में आते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी माने जाते हैं।

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