Jan 30, 2025
Medha Chawlaबसंत पंचमी का पर्व माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो हिंदू संस्कृति का विशेष पर्व है।
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मान्यता है कि बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान, संगीत और कला की मां शारदा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
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बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है जिसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है। ये मौसम ठंड के कम होने और गर्मी के बढ़ने का संकेत देता है।
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इस दिन पीले रंग को शुभ माना जाता है। इस पर्व पर लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले फूल और पीले मिष्ठान माता को चढ़ाते हैं।
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इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार लिखना-पढ़ना सिखाने की भी प्राचीन परंपरा है, जिसे 'अक्षरारंभ' या 'विद्यारंभ' कहा जाता है।
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बसंत पंचमी किसानों के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस समय सरसों के फूल खिलते हैं और खेतों में गेहूं की फसल लहलहाने लगती है।
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कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति की भी पूजा की जाती है, जिससे दांपत्य जीवन में प्रेम और सौंदर्य बना रहता है।
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बसंत पंचमी के दिन कई शुभ योग और मुहूर्त बनते हैं जिन्हें अत्यंत ही शुभ माना जाता है, इस नाते इस दिन विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
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पंजाब में बसंत पंचमी को बड़े हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है, और वहीं बंगाल में इसे मां भगवती के पूजन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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इस दिन शिक्षण संस्थानों में कई साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं, जिसमें कवि सम्मेलन, संगीत और नृत्य कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
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