Feb 01, 2025
Medha Chawlaविद्यारंभ संस्कार बच्चे की शिक्षा की शुरुआत के लिए किया जाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है, जिसे ‘अक्षरारंभ’ या ‘अक्षर लेखन’ भी कहा जाता है।
Credit: canva
ये संस्कार हिंदू संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक होता है, जिसका उद्देश्य बच्चे को ज्ञान और शिक्षा के मार्ग की ओर अग्रसर करना होता है।
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प्राचीन काल में ये संस्कार 5 वर्ष की आयु में किया जाता था, लेकिन आज के दौर में ये 2 से 5 वर्ष की आयु में संपन्न किया जाता है।
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इस संस्कार में बच्चे को माता-पिता और गुरु की मदद में स्लेट, चावल या मिट्टी पर पहला अक्षर लिखवाया जाता है, जैसे कि ॐ या अ।
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मान्यताओं के अनुसार ये संस्कार प्राचीन गुरुकुल प्रणाली का आधार था, जहां छात्र गुरु के पास जाकर शिक्षा ग्रहण करते थे।
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रामायण और महाभारत ग्रंथों में श्रीराम और श्रीकृष्ण और अन्य महापुरुषों के विद्या आरंभ संस्कार का वर्णन मिलता है।
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ये अनुष्ठान बसंत पंचमी के दिन किया जाता है जिस दिन विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा की जाती है, जिनसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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बच्चे के पहले गुरु जो कि अभिभावक या शिक्षक होते हैं, इस संस्कार में विशेष भूमिका निभाते हैं और शिक्षा के प्रति बच्चे को तैयार करते हैं।
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आधुनिक समय में ये संस्कार विद्यालयों या घरों में धार्मिक विधि-विधान से किया जाता है, खास तौर से बसंत पंचमी या अक्षय तृतीया के दिन इसे पूर्ण किया जाता है।
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