इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजनीति में सेना की अहम भूमिका है। अगर इस तरह की बात कही जाती है तो उसके पीछे ठोस आधार है, अपने जन्म से लेकर आजतक तीन बार तख्तापलट हो चुका है और यदि कोई सिविल सरकार सत्ता में रहती है तो उसे सेना के रहमोकरम पर ही रहना पड़ता है।पाकिस्तान की राजनीति में मुख्य तौर पर दो धड़े ही काम करते रहे हैं जिसे हम पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और पीएमएल-एन के नाम से जानते हैं और शेष छोटे छोटे दल अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं। लेकिन इमरान खान ने जब तहरीके इंसाफ का गठन किया तो उसे विकल्प के तौर पर पेश किया।
3 पी और ऑपरेशन जीजा
इमरान खान लोगों के बीच में गए और शरीफ खानदान के साथ साथ भुट्टो खानदान की नाकामियों को उजागर किया। उसका फायदा भी उन्हें मिला और वो सरकार बनाने में कामयाब हुए। लेकिन विपक्षी दलों की नजर में वो इलेक्टेड नहीं बल्कि सलेक्टेड पीएं माने जाते हैं। अगर मौजूदा समय की बात करें तो पाकिस्तान मुल्क तीन पी यानि पॉलिटिक्स, पाकिस्तानी सेना और पुलिस से परेशान है। पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल तो सर्वविदित है। लेकिन इस समय सिंध पुलिस और बाजवा की सेना आमने सामने है और इसके पीछे ऑपरेशन जीजा भी सामने आ रहा है।
पुलिस, पॉलिटिक्स और ऑपरेशन जीजा में रिश्ता
अब सवाल यह है कि सिंध पुलिस, पाक सेना और ऑपरेशन जीजा में क्या रिश्ता है। दरअसल इमरान खान सरकार केखिलाफ पाकिस्तान के 11 विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है। एकतरफ से मौलाना फजलुर रहमान तो दूसरी तरफ बिलावल भुट्टो तो तीसरी तरफ एक नया नाम सफदर अवान का आया। दरअसर सफदर अवान कोई और नहीं बल्कि निर्वासन में रह रहे नवाज शरीफ के दामाद हैं। जब से उन्होंने इमरान सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की पाकिस्तान की आम लोगों की जुबां पर ऑपरेशन जीजा मुखर हुआ।
सफदर अवान का मुद्दा इमरान के लिए पड़ रहा है भारी
दरअसल जब कराची में सफदर अवान, इमरान खान सरकार के खिलाफ लोगों को इकट्ठा कर रहे थे तो बताया जाता है कि गृहमंत्री एजाज शाह को लगा कि यह तो देश के खिलाफ विद्रोह है और उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया गया। लेकिन सिंध पुलिस ने उससे मानने से इंकार कर दिया। चूंकि एजाज शाह पाकिस्तान सेना में ब्रिगेडियर रहे हैं तो उन्हें यह नागवार लगा कि पुलिस कैसे उनके आदेश की नाफरमानी कर सकती है. लिहाजा उन्होंने सिंध पुलिस के आईजी की गिरफ्तारी के आदेश दिये और वहीं से मामला उल्टा पड़ा। सिंध पुलिस एक तरह से सेना के खिलाफ सामने आ गई। इस्लामाबाद के साथ साथ जब फौज को अहसास हुआ कि वो गलत ट्रैक पर जा रहे हैं तो तुरंत जांच के आदेश दे दिए गए।