Afghanistan crisis: 'हर हाल में चुकानी होती कीमत', Joe Biden ने फिर किया अपने फैसले का बचाव

अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन वहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के अपने फैसले को लेकर सवालों के घेरे में हैं। पर बाइडन ने एक बार फिर अपने फैसले का बचाव किया है।

Afghanistan crisis: 'हर हाल में चुकानी होती कीमत', Joe Biden ने फिर किया अपने फैसले का बचाव
Afghanistan crisis: 'हर हाल में चुकानी होती कीमत', Joe Biden ने फिर किया अपने फैसले का बचाव  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्‍तान पर एक बार फिर अपने फैसले को सही ठहराया
  • अफगानिस्‍तान से जल्‍दबाजी में सैनिकों की वापसी को लेकर वह अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के निशाने पर हैं
  • अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने कहा कि हर हाल में इस फैसले की कोई न कोई कीमत चुकानी ही होती

वाशिंगटन : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन जल्‍दबाजी में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले को लेकर सवालों के घेरे में हैं। इसे लेकर उनकी अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर ही नहीं, बल्कि घरेलू राजनीति में भी आलोचना हो रही है। लेकिन बाइडन लगातार अपने इस फैसले का बचाव कर रहे हैं। एक बार फिर उन्‍होंने मौजूदा हालात के लिए अफगान सरकार और सुरक्षा बलों को जिम्‍मेदार ठहराया।

In this photo provided by the Ministry of Defence on Sunday, Aug. 15, 2021, members of the 16 Air Assault Brigade arrive in Kabul as part of a 600-strong UK-force sent to assist with Operation PITTING to rescue British nationals in Afghanistan amidst the worsening security situation there. (Leading Hand Ben Shread/Ministry of Defence via AP)

अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद एबीसी न्‍यूज को दिए अपने पहले इंटरव्‍यू में बाइडन ने कहा, 'जिस तरह स्थिति से निपटा गया है, मुझे नहीं लगता कि इससे बेहतर तरीके से ऐसा किया जा सकता था। अगर हम पीछे मुड़ कर देखें तो पाएंगे कि ऐसा कोई रास्ता नहीं था कि पूरी तरह व्यवस्थित तरीके से ऐसा हो पाता। मुझे नहीं पता कि इससे अलग और क्या होता। हर हाल में इस फैसले की कोई न कोई कीमत चुकानी ही होती।'

अफगान सरकार, बलों पर फूटा गुस्‍सा

अफगानिस्‍तान के मौजूदा हालात के लिए वहां की सरकार और अफगान सुरक्षा बलों के रवैये को जिम्‍मेदार ठहराते हुए जो बाइडन ने कहा, 'अफगानिस्‍तान की अपनी सरकार थी, लेकिन जब यहां तालिबान ने बढ़त हासिल की तो यहां के नेता हवाई जहाजों में बैठकर दूसरे देशों में फरार हो गए। यही हाल अफगान सुरक्षा बलों का भी है, जिनमें से 3 लाख को हमने प्रशिक्षण दिया, लेकिन उन्‍होंने तालिबान के खिलाफ हथियार डाल दिए हैं।'

Taliban fighters stand guard on the back of vehicle with a machine gun in front of main gate leading to Afghan presidential palace, in Kabul, Afghanistan, Monday, Aug. 16, 2021. The U.S. military has taken over Afghanistan's airspace as it struggles to manage a chaotic evacuation after the Taliban rolled into the capital. (AP Photo/Rahmat Gul)

यहां उल्‍लेखनीय है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान के राष्‍ट्रपति भवन पहुंचते ही राष्‍ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर फरार हो गए। पहले तो उन्‍होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी और फिर एक दिन बाद एक फेसबुक पोस्‍ट के जरिये उन्‍होंने बताया कि काबुल को रक्‍तपात से बचाने के लिए उन्‍होंने ऐसा किया। बाद में एक वीडियो संदेश में भी उन्‍होंने अपनी इसी बात को दोहराया और कहा कि उनके काबुल में रहते तालिबान यहां भीषण मारकाट मचा सकता था।

अमेरिका की नाराजगी की वजह

अमेरिकी नेतृत्‍व ने अशरफ गनी के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। पहले आई रिपोर्ट्स में कहा गया कि अशरफ गनी ने ताजिकिस्‍तान में शरण लेने की कोशिश की, लेकिन वहां की सरकार ने इसके लिए मना कर दिया, जिसके बाद उन्‍होंने अमेरिका से गुहार लगाने का फैसला किया। लेकिन अमेरिका की नाराजगी को देखते हुए बाद उन्‍होंने संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) में शरण ली। UAE ने मानवीय आधार पर गनी और उनके परिवार को शरण देने की बात कही।

अफगानिस्‍तान में तालिबान की बढ़त के बीच सवाल अफगान सुरक्षा बलों को लेकर भी उठ रहे हैं, जिसने तालिबान के सामने लगभग हथियार डाल दिए हैं और यही बात बाइडन ने अपने इंटरव्‍यू में भी कहा। बाइडन ने यह भी कहा कि उनकी सरकार सभी अमेरिकी नागरिकों को अफगानिस्‍तान से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए 31 अगस्‍त तक की सीमा तय की गई है। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में इस वक्‍त 10-15 हजार अमेरिकी नागरिक मौजूद हैं।

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