Afghanistan: इस्‍लामिक कानूनों को लागू करवाएगा सैन्‍य ट्रिब्‍यूनल, Taliban के इस कदम से फिर बढ़ी चिंता 

अफगानिस्‍तान की सत्‍ता में काबिज तालिबान ने यहां इस्‍लामिक कानूनों को लागू करने के लिए सैन्‍य ट्रिब्‍यूनल की स्‍थापना का ऐलान किया है, जिसके बाद मुल्‍क में एक बार फिर से क्रूर कानूनों को लागू किए जाने की आशंका और मानवाधिकारों को लेकर चिंता बढ़ गई है।

Afghanistan: इस्‍लामिक कानूनों को लागू करावाएगा सैन्‍य ट्रिब्‍यूनल, Taliban के इस कदम से फिर बढ़ी चिंता 
Afghanistan: इस्‍लामिक कानूनों को लागू करवाएगा सैन्‍य ट्रिब्‍यूनल, Taliban के इस कदम से फिर बढ़ी चिंता   |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • तालिबान ने अफगानिस्‍तान में सैन्‍य ट्र‍िब्‍यूनल की स्‍थापना का ऐलान किया है
  • इसका मकसद यहां इस्‍लामिक धार्मिक कानूनों को लागू करवाना है
  • तालिबान का यह कदम एक बार फिर यहां पुराने दौर के लौटने के संकेत देता है

काबुल : अफगानिस्‍तान की सत्‍ता में काबिज तालिबान ने यहां इस्लामिक धार्मिक कानूनों को लागू करने के लिए एक सैन्य ट्रिब्‍यूनल की स्‍थापना का ऐलान किया है। तालिबान के उप प्रवक्ता एनामुल्लाह समांगानी ने एक बयान में कहा कि 'शरिया व्यवस्था, दैवीय फरमान और सामाजिक सुधार' को लागू करने के लिए सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा के आदेश पर न्यायाधिकरण का गठन किया गया है।

तालिबान प्रशासन के अनुसार, ट्रिब्यूनल के पास शरिया के फैसलों की व्याख्या करने, इस्लामिक नागरिक कानूनों से संबंधित फरमान जारी करने और तालिबान अधिकारियों और पुलिस, सेना और खुफिया इकाइयों के सदस्यों के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई का अधिकार होगा। ओबैदुल्ला नेजामी को ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिसमें सैयद अगाज और जाहेद अखुंदजादेह डिप्टी के रूप में कार्यरत होंगे।

क्रूर कानूनों को लागू किए जाने की आशंका

अफगानिस्‍तान की सत्‍ता में तालिबान के फिर से काबिज होने के बाद से लगातार वहां के सुरक्षा हालात को लेकर आशंका जताई जा रही है। तालिबान ने अफगानिस्‍तान में सख्‍त इस्‍लामिक कानून को लागू करने की बात कही है। तालिबान के संस्थापक सदस्‍यों में से एक मुल्‍ला नूरुद्दीन तुराबी ने पिछले दिनों कहा था कि अफगानिस्‍तान में एक बार फिर फांसी और कठोर दंड का दौर लौटने वाला है। हाथ-पैर काट देने जैसी क्रूर सजा का समर्थन करते हुए तुराबी ने कहा था कि अपराधों को रोकने के लिए ऐसी सजा जरूरी है।

अफगानिस्‍तान की सत्ता में तालिबान दूसरी बार 15 अगस्‍त, 2021 को काब‍िज हुआ, जिसके बाद से कई ऐसे संकेत मिल चुके हैं, जो इस मुल्‍क में 1990 के दशक के उस दौर के लौटने की ओर इशारा करती है, जब यहां 1996 से साल 2001 के बीच तालिबान का शासन था। इस दौरान तालिबान ने यहां कई क्रूर कानून लागू किए थे, जिसमें लोगों को स्‍टेडियम में सरेआम फांसी लटका दी जाती थी। तालिबान के शासन में एक बार फिर वही दौर लौटता नजर आ रहा है। बीते दिनों में यहां चार आरोपियों के शव चौराहों पर टांग दिए गए थे और लोगों को चेतावनी भी दी गई थी।

इन सबके बीच अब अफगानिस्‍तान में इस्लामिक धार्मिक कानूनों को लागू करने के लिए एक सैन्य ट्रिब्‍यूनल की स्‍थापना की जानकारी सामने आई है, जिससे एक बार फिर तालिबान के कब्‍जे वाले अफगानिस्‍तान में 1996-2001 के दौर के उन्‍हीं क्रूर कानूनों को लागू क‍िए जाने के संकेत मिल रहे हैं, जिसके लिए उसकी आलोचना होती रही है।

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