मॉस्को: 23 प्रतिशत रूसी नागरिकों को लगता है कि कोराना वायरस का खतरा वास्तविक नहीं है और ये महामारी मानवीय दिमाग की उपज है। कोरोना के बारे में एक सर्वे मॉस्को स्थित हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने मई के महीने में किया था जिसमें रूस के 30 हजार लोगों ने भाग लिया था।
इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार रूस के 23.3 प्रतिशत लोग कोविड-19 को काल्पनिक मानते हैं जबकि 9.6 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इसे सबके सामने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। यदि इन दोनों आंकड़ों को एक साथ मिलाकर देखा जाए तो 32.8 प्रतिशत यानी रूस की तकरीबन एक तिहाई आबादी को कोरोना के खतरे पर पूरी तरह यकीन ही नहीं है।
इस अध्ययन में रूसी लोगों में सेल्फ आइसोलेशन और सरकार के कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बड़ा मतान्तर देखने को मिला है। कोरोना को छलावा मानने वाले लोगों में से 43 प्रतिशत ने सेल्फ आइसोलेशन के दौरान अपने रिश्तेदारों के यहां जाकर उनसे मुलाकात की। जबकि इसमें से तीन चौथाई लोगों का मानना था कि सरकार को घर पर रहने का नियम नहीं बनाना चाहिए था।
वहीं जिन लोगों को इस जानलेवा वायरस के खतरे पर यकीन है उनमें से कुछ ने ही आइसोलेशन के दौरान अपने रिश्तेदारों से मुलाकात की। केवल 18 प्रतिशत लोग ही अपने परिवार से मिलने जाते थे।
सेल्फ आइसोलेशन को लेकर बढ़ रहा है असंतोष
सर्वे में ये भी बताया गया है कि रूस के लोगों के अंदर सेल्फ आइसोलेशन को लेकर असंतोष समय के साथ बढ़ा है। अप्रैल की शुरुआत में 15.9 प्रतिशत लोगों ने इसे गैरजरूरी बताया था। लेकिन मई के अंत में तकरीबन 32.4 प्रतिशत लोगों ने इसे गैरजरूरी बताया है। यानी की ये संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई। इस अध्ययन को करने वाले रुसलैन अर्टामोनोव ने बताया कि जिन लोगों को कोरोना के दौरान आय का जितना अधिक नुकसान हुआ उसमें से अधिकांश को इसपर यकीन नहीं होना लाजमी है।
दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले में तीसरे पायदान पर
रूस में अबतक तकरीबन 3.4 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। रूस में तकरीबन 4 हजार लोग इस वायरस के प्रकोप के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देशों की सूची में रूस तीसरे स्थान पर अमेरिका और ब्राजील के बाद कायम है। अमेरिका में तकरीबन 17 लाख और ब्राजील में 4.1 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।