'आजादी मार्च' से पीछे हटने को तैयार नहीं मौलाना फजलुर रहमान, मुश्किल में इमरान सरकार  

दुनिया
आलोक राव
Updated Nov 04, 2019 | 12:54 IST

Maulana Fazlur Rehman dharna in Islamabad : ' मौलाना फजलुर रहमान ने कहा है कि चुनाव आयोग यदि मजबूर नहीं होता तो इस्लामाबाद में इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठा नहीं हुई होती। उन्होंने कहा कि शासकों को जाना होगा।

Azadi march : Maulana Fazlur Rehman signals no relief for Imran Khan, demands his resignation
Maulana Fazlur Rehman dharna in Islamabad  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • अपनी मांगों के पूरे हुए बगैर इस्लामाबाद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं मौलाना फजलुर रहमान
  • समर्थकों से कहा-शासकों को जाना होगा, बगावत की हद हम पार कर चुके हैं, हमें कोई नहीं रोक सकता
  • धरने से इमरान खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं, मौलाना से बातचीत की पहल कर रही सरकार

इस्लामाबाद : कराची से 'आजादी मार्च' की शुरुआत करने वाले जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के मुखिया फजलुर रहमान का अपने हजारों समर्थकों के साथ इस्लामाबाद में धरना जारी है। मौलाना अपनी मांगों पर अडिग हैं जबकि इमरान सरकार का कहना है कि प्रदर्शन के शांतिपूर्ण रहने तक वह मौलाना और उनके समर्थकों को इस्लामाबाद छोड़ने के लिए बाध्य नहीं करेगी। इस बीच, मुख्य विपक्षी पार्टियों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने मौलाना के धरने से एक तरह से दूरी बना ली है। इसके बाद मौलाना ने अपने समर्थनकों से कहा है कि आगे की रणनीति बनाने के लिए उन्होंने विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है।

मौलाना का 'आजादी मार्च' गत 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद में प्रवेश किया। इमरान सरकार के खिलाफ यह धरना इस्लामाबाद के 'डी-चौक' के पास होना था लेकिन बाद में मौलाना 'डी-चौक' की जगह एच-9 पर धरना देने के लिए तैयार हो गए। इस धरने के बारे में इमरान सरकार का कहना है कि मौलाना के प्रदर्शन से सरकार को कोई खतरा नहीं है। डॉन वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ही पाकिस्तान में एक मात्र नेता हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, 'मौजूदा समय में इमरान खान का कोई विकल्प नहीं है।' चौधरी ने कहा कि मौलाना को धरने के बारे में पता नहीं है। 

Maulana Fazlur Rehman

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अपनी मांग पर कायम हैं मौलाना
वहीं, इस्लामाबाद में धरना दे रहे मौलाना के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। वह अपनी मांगों पर कायम हैं। जियो टीवी की न्यूज के मुताबिक अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'सरकार हमें चुनाव आयोग के पास जाने के लिए कह रही है लेकिन आयोग हमसे कहीं ज्यादा लाचार है।' मौलाना ने कहा कि चुनाव आयोग यदि मजबूर नहीं होता तो इस्लामाबाद में इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठा नहीं हुई होती। उन्होंने कहा, 'हमने फैसला किया है कि हम किसी कोर्ट अथवा चुनाव आयोग के पास नहीं जाएंगे। चुनाव में धांधली के बारे में फैसला केवल एक संसदीय समिति ही कर सकती है। हम ऐसे मोड़ पर आ चुके हैं जहां से वापस नहीं जा सकते है। हम पीएम आवास में यदि घुसना चाहे तो हमें कोई रोक नहीं सकता।'

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शासकों को जाना होगा-मौलाना
मौलाना ने कहा, 'शासकों को उनके घर भेजने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। इन शासकों को जाना होगा।' रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस्लामाबाद में जारी प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने मौलाना के साथ बातचीत करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक सीनेट के चेयरमैन सादिक संजरानी के आवास पर सरकार की वार्ताकार समिति की बैठक हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक संजरानी ने कहा, 'फजलुर रहमान ने अभी तक समझौते का उल्लंघन नहीं किया है ऐसे में हमें उनसे बात करनी चाहिए।' रक्षा मंत्री परवेज खटाक ने कहा, 'हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।'

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अहम घोषणा कर सकते हैं फजलुर रहमान
मौलाना ने इमरान खान को अपना त्यागपत्र देने के लिए दो दिन का समय दिया था जो कि बीत चुका है। समझा जाता है कि मौलाना अपने 'आजादी मार्च' को लेकर अब कोई अहम घोषणा कर सकते हैं। 'आजादी मार्च' कारवां सिंध प्रांत से रवाना हुआ और वह गुरुवार रात इस्लामाबाद पहुंचा। 'आजादी मार्च' को समर्थन देने पहुंची विपक्षी पार्टियों ने इमरान खान को त्यागपत्र देने के लिए दो दिनों का समय दिया था। मौलाना ने कहा कि इमरान ने यदि इस्तीफा नहीं दिया तो प्रदर्शनकारी पीएम आवास की तरफ मार्च कर सकते हैं और उन्हें पीएम पद से उतरने के लिए 'बाध्य' कर सकते हैं।

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मौलाना की चेतावनी को देखते हुए इमरान सरकार हरकत में आई और उसने शनिवार को कहा कि फजलुर रहमान के बयानों के आधार पर वह कोर्ट जाएगी। इमरान सरकार ने मौलाना पर 'लोगों को उकसाने' और 'बगावत' के लिए एकजुट करने का आरोप लगाया है।   

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