बांग्लादेश के संस्‍थापक शेख मुजीबुर रहमान के हत्‍यारे को 45 साल बाद हुई फांसी

बांग्‍लादेश के संस्‍थापक शेख मुजीबुर रहमान के हत्‍यारे अब्‍दुल माजिद को 45 साल बाद फांसी दी गई है, जो पिछले करीब दो दशकों से भी अधिक समय से फरार चल रहा था। उसे मंगलवार को ही गिरफ्तार किया गया था।

बांग्‍लादेश ने शेख मुजीबुर रहमान के हत्‍यारे को दी फांसी, 45 साल बाद सूली चढ़ा हत्‍यारा
बांग्‍लादेश ने शेख मुजीबुर रहमान के हत्‍यारे को दी फांसी, 45 साल बाद सूली चढ़ा हत्‍यारा (फाइल फोटो/साभार : ढाका ट्रिब्‍यून) 

ढाका : बांग्‍लादेश के संस्‍थापक शेख मुजीबुर रहमान के हत्‍यारे अब्‍दुल माजिद को 45 साल बाद फांसी दी गई है। पूर्व सैन्य कप्तान अब्दुल माजिद  को शनिवार देर रात फांसी पर लटकाया गया। उसे 7 अप्रैल को ही गिरफ्तार किया गया था। वह पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से फरार था और मार्च में ही बांग्लादेश में दाखिल हुआ था। बांग्‍लादेश के राष्‍ट्रपति अब्‍दुल हामिद ने गुरुवार को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी।

सेंट्रल जेल में दी गई फांसी

अब्‍दुल माजिद को रात 12:01 मिनट पर ढाका के पास किरानीगंज स्थित सेंट्रल जेल में फांसी दी गई, जब तारीख और दिन बदल गया। मध्यरात्रि के कारण तारीख 12 अप्रैल और दिन रविवार का हो गया, जब उसे फांसी दी गई। बांग्‍लादेश के स्‍वतंत्रता सेनानी व संस्‍थापक शेख मुजीबुर रहमान की हत्‍या लगभग 45 साल पहले 1975 में कर दी गई थी। इस मामले में माजिद सहित 12 लोगों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी।

1996 में हो गया था फरार

बांग्‍लादेश में 1996 में जब शेख हसीना सत्‍ता में आईं तो माजिद फरार हो गया था। शेख हसीना, बांग्‍लादेश की आाजदी के नायक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। बताया जाता है कि बांग्‍लादेश से फरार होने के बाद बीते करीब दो दशकों से भी अधिक समय में वह पाकिस्‍तान, लीबिया और भारत में भी रहा। स्‍थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह 15 या 16 मार्च को मायमेनसिंह सीमा पार कर बांग्‍लादेश में दाखिल हुआ था। पूछताछ के दौरान उसने पिछले करीब दो दशकों से अधिक समय से भारत में होने की बात कही थी।

मंगलवार को हुई थी गिरफ्तारी

बताया जाता है कि वह कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बाद भागकर बांगलादेश पहुंचा था, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया और 5 दिन के भीतर फांसी दे दी गई। इससे पहले शनिवार को जेल में उसकी पत्‍नी और परिवार के कुछ सदस्‍यों ने उससे मुलाकात की थी। माजिद और अन्‍य को ट्रायल कोर्ट ने 1998 में मौत की सजा सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बरकार रखा था।

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