इजरायल में अब नेतन्‍याहू नहीं, नफ्ताली राज, भारत के साथ रिश्‍तों पर क्‍या होगा असर?

इजरायल में सत्‍ता परिवर्तन का भारत के संबंधों पर कितना असर होगा? जिस तरह का व्‍यक्तिगत तालमेल पीएम मोदी का बेंजामिन नेतन्‍याहू के साथ देखने को मिला था, वही गर्मजोशी नफ्ताली के साथ संबंधों में भी होगी?

नेतन्‍याहू नहीं, अब नफ्ताली बेनेट के हाथों इजरायल की कमान, भारत के लिए क्‍या हैं इसके मायने
नेतन्‍याहू नहीं, अब नफ्ताली बेनेट के हाथों इजरायल की कमान, भारत के लिए क्‍या हैं इसके मायने  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • इजरायल में बेंजामिन नेतन्‍याहू के बाद नफ्ताली बेनेट प्रधानमंत्री बने हैं
  • नेतन्‍याहू के कार्यकाल में भारत-इजरायल के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा
  • पीएम मोदी और नेतन्‍याहू के बीच व्‍यक्तिगत तालमेल भी खूब रहा

नई दिल्‍ली/यरुशलम : इजरायल में 12 साल बाद सत्‍ता परिवर्तन हुआ है, जिसमें बेंजामिन नेतन्‍याहू के बाद नफ्ताली बेनेट ने प्रधानमंत्री पद संभाला है। नेतन्‍याहू के कार्यकाल में भारत और इजरायल के संबंधों में खूब गर्मजोशी देखने को मिली थी। नेतन्‍याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भी जबरदस्‍त आपसी तालमेल देखने को मिला था, जिसने कई मौकों पर खूब सुर्खियां बटोरी। अब इजरायल में जब सत्‍ता परिवर्तन हुआ है तो ऐसे सवाल उठने लाजिमी हैं कि इनका भारत पर क्‍या असर हो सकते हैं और क्‍या नफ्ताली बेनेट के साथ भी पीएम मोदी के रिश्‍ते उसी तरह से प्रगाढ़ देखने को मिलेंगे, जैसा कि नेतन्‍याहू के साथ देखा गया था।

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu, left, is welcomed by India's Prime Minister Narendra Modi on his arrival at Palam airport in New Delhi Sunday, Jan. 14, 2018. Israeli Prime Minister Netanyahu arrived Sunday for his first visit to India to expand defense, trade and energy ties. (AP Photo)

इजरायल के साथ भारत के रिश्‍तों की बात करें तो दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्‍ते 1992 में ही शुरू हुए थे। इस बीच दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा। रणनीति साझेदारी भी धीरे-धीरे मजबूत हुई, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्‍ता में आने के बाद भारत-इजरायल संबंधों में एक नई ऊंचाई देखने को मिली। केंद्र की सत्‍ता में आने के तीन साल बाद ही जुलाई 2017 में जब नरेंद्र मोदी इजरायल की धरती पर पहुंचे तो वह ऐसा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे। इसके अगले ही साल जनवरी 2018 में नेतन्‍याहू भी भारत दौरे पर पहुंचे थे, जब दोनों नेताओं में जबरदस्‍त गर्मजोशी देखने को मिली थी। इस दौरान भारत और इजरायल के बीच कई अहम द्विपक्षीय समझौते भी हुए। इससे पहले भारत का शीर्ष नेतृत्‍व इस वजह से इजरायल के दौरे से परहेज करता रहा कि इससे अरब देशों के बीच गलत संदेश जा सकता है।

इजरायल/फिलीस्‍तीन से भारत के रिश्‍ते

पीएम मोदी की जुलाई 2017 की इजरायल यात्रा के दौरान एक और बड़ा नीतिगत बदलाव देखने को मिला। जब वह इजरायल की यात्रा पर गए तो वह फिलीस्‍तीन नहीं गए, जबकि इससे पहले यह लगभग रस्‍म अदायगी सी थी कि अगर कोई भारतीय नेता या मंत्री राजनीतिक हैसियत से इजरायल की यात्रा पर पहुंचते हैं तो वह फिलीस्‍तीन भी जाएंगे। इसका मकसद दोनों के साथ संबंधों में संतुलन स्‍थापित करना था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा में इस परंपरा को बदल दिया। यह भी गौर करने वाली बात है कि एक साल बाद ही फरवरी 2018 में वह फिलीस्‍तीन भी पहुंचे और वहां पहुंचने वाले भी पहले भारतीय प्रधानमंत्री रहे। प्रधानमंत्री की इन यात्राओं ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि भारत की मौजूदा सरकार इजरायल और फिलीस्‍तीन के साथ संबंधों को अब अलग तरीके से आगे बढ़ाएगी। उनके आपसी विवादों का असर अपने साथ के द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देगी।

बहरहाल, मोदी-नेतन्‍याहू सरकार के कार्यकाल में भारत-इजरायल संबंधों में आई नई ऊंचाई की बात करें तो इसकी एक बड़ी वजह राष्‍ट्रवाद को लेकर वैचारिक समानता भी बताई जाती है। दोनों नेता एक-दूसरे को 'दोस्‍त' कहते रहे हैं, जो एक-दूसरे को ट्विटर के जरिये दिए जाने वाले बधाई संदेशों में भी अक्‍सर देखने को मिला। नेतन्‍याहू ने भारत को बधाई देने के लिए कई बार हिन्‍दी में ट्वीट किया तो भारत की ओर से भी पीएम को बधाई इजरायली भाषा हिब्रू में दी गई।

कैसे रहेंगे आपसी रिश्‍ते?

पीएम मोदी ने इजरायल के मौजूदा प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट को भी जब पद संभालने के मौके पर बधाई दी तो वह अंग्रेजी के साथ-साथ हिब्रू में भी ट्वीट करना नहीं भूले। इस दौरान उन्‍होंने नेतन्‍याहू को भी उनके 'सफल' कार्यकाल के लिए बधाई दी। उनके ट्वीट से स्‍पष्‍ट होता है कि भारत इजरायल में बनी नई सरकार के साथ भी आपसी सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करने का इच्‍छुक है। जवाब में इजरायल के नए प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के ट्वीट से भी जाहिर होता है कि इजरायल का नया नेतृत्‍व भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और इस दिशा में मिलकर काम करने का इच्‍छुक है। भारत-इजरायल संबंधों को लेकर इसी तरह के बयान विदेश मंत्री याइर लापिद की आरे से भी आए, जिन्होंने कहा कि नई सरकार भारत के साथ 'रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने' के लिए काम करेगी।

दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्‍व की ओर से आए इस तरह के बयानों से स्‍पष्‍ट संकेत मिलते हैं कि इजरायल में हुए नेतृत्‍व परिवर्तन से द्विपक्षीय संबंधों पर कोई बहुत असर नहीं पड़ने जा रहा है और आपसी सहयोग तथा रणनीतिक साझेदारी आने वाले समय में और मजबूत होगी। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि पीएम मोदी के संबंध और व्‍यक्तिगत तालमेल जिस तरह के बेंजामिन नेतन्‍याहू के साथ देखे गए थे, वे नफ्ताली बेनेट के साथ नजर आते हैं या नहीं।

किस मसले पर है मतभेद?

वैसे कई मसले हैं, जिन पर भारतीय नेतृत्‍व और इजरायली नेतृत्‍व में भिन्‍नता स्‍पष्‍ट नजर आती है। फिलीस्‍तीन का मसला भी ऐसा ही है। बेंजामिन नेतन्‍याहू जहां इजरायल में राष्‍ट्रवादी नेता की छवि रखते हैं, वहीं नफ्ताली बेनेट की छवि उनसे कहीं अधिक राष्‍ट्रवादी व आक्रामक यहूदी नेता की है, जो फिलीस्‍तीन की स्‍वतंत्रता व संप्रभुता के बिल्‍कुल खिलाफ हैं। वह इजरायल से अलग किसी भी नए देश की धारणा को सीधे खारिज करते हैं। वहीं इस मसले पर भारत का वर्तमान नेतृत्‍व भी पुराने रुख पर कायम है कि इजरायल-फिलीस्‍तीन विवाद का समाधान दो राष्‍ट्रों में हैं। हालांकि यह कोई ऐसा मसला नहीं है, जो भारत और इजरायल के संबंधों को सीधा प्रभावित कर सकता है, पर अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर इस संबंध में भारत सरकार और इजरायल सरकार का अलग-अलग रुख आपसी रिश्‍तों में कुछ हद तक तनाव पैदा करने वाला हो सकता है।

Israel's new prime minister Naftali Bennett shakes hands with outgoing prime minister Benjamin Netanyahu during a Knesset session in Jerusalem Sunday, June 13, 2021. Israel's parliament has voted in favor of a new coalition government, formally ending Netanyahu's historic 12-year rule. Naftali Bennett, a former ally of Netanyahu became the new prime minister (AP Photo/Ariel Schalit)

भारत-इजरायल अहम रक्षा पार्टनर

भारत और इजरायल के संबंध हालांकि अन्‍य कई मोर्चों पर मजबूती से आगे बढ़ते नजर आते हैं, जिनमें रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग महत्‍वपूर्ण है। इस संबंध में यह बात गौर करने वाली है कि भारत इस वक्‍त जिन देशों से सर्वाधिक सैन्‍य उपकरणों का आयात करता है, उनमें इजरायल भी शामिल है। स्‍टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट पर गौर करें तो बीते 10 वर्षों में भारत ने बेयॉन्‍ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (BVRAAM), गाइडेट बॉम्स एंड सर्फेस टू एयर (SAM) मिसाइल सहित विभ‍िन्‍न रेंज की कई म‍िसाइलों का आयात इजरायल से किया है। ये सभी मिसाइल बहुउद्देश्‍यीय हैं और इन्‍हें जमीन से, समुद्र से या हवा से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है। भारत रक्षा उत्‍पादों के आयात के लिए अमेरिका और रूस पर से निर्भरता धीरे-धीरे घटा रहा है और इजरायल तथा फ्रांस जैसे देशों के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने में जुटा है।

Modi caps Netanyahu bromance with barefoot beach stroll

भारत के लिए इजरायल जहां एक मुफीद डिफेंस पार्टनर नजर आ रहा है, वहीं इजरायल के लिए भी भारत एक बड़ा बाजार है। साथ ही दक्षिण एशिया में भारत की मजबूत स्थिति और अंतरराष्‍ट्रीय बिरादरी में बढ़ता दबादबा भी दर्शाता है कि क्षेत्र में इजरायल को इससे मजबूत सामरिक साझीदार और भरोसेमंद 'दोस्‍त' नहीं मिलने जा रहा।

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