Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध के दौरान आम नागरिक बड़ी संख्या में शिकार हो रहे हैं। और इस जंग में सबसे ज्यादा यूक्रेन के लोग शिकार हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार बीते शनिवार तक यूक्रेन में 350 से ज्यादा आम नागरिक मारे जा चुके हैं, जबकि 700 से ज्यादा घायल हुए है। ऐसे में रूस पर युद्ध अपराध के आरोप लग रहे हैं। इन आरोपों को लेकर 39 देशों ने मांग की है कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) जांच करें। इस आधार पर रूस की सैन्य कार्रवाई पर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने जांच भी शुरू कर दी है। जिसमें युद्ध अपराधों की जांच की जाएगी। जाहिर इस कार्रवाई से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी जांच के दायरे में आएंगे।
26 फरवरी को यूक्रेन ने दायर किया था केस
यूक्रेन ने 26 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में रूस के खिलाफ युद्ध अपराध को लेकर केस दायर किया था। इसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस को सैन्य कार्रवाई को तत्काल रोकने का आदेश देने के साथ, कोर्ट से रूस को नरसंहार के लिए जवाबदेह ठहराए जाने की अपील की थी। वहीं, रूस ने आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों से इनकार किया है। अब सवाल उठता है कि युद्ध अपराध क्या है और कैसे उसके तहत कार्रवाई होती है।
क्या है जेनेवा कन्वेंशन
युद्ध अपराध को परिभाषित करने वाले कानून जेनेवा कन्वेंशन कहलाते हैं। इसके तहत अब तक चार कन्वेंशन बनाए गए हैं। पहले तीन कन्वेंशन में युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों और युद्ध बंदियों की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बने चौथे कन्वेंशन में युद्ध क्षेत्र में आम नागरिकों की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है। 1949 के जेनेवा कन्वेंशन को रूस सहित संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने स्वीकार किया था।
आम लोगों को बंधक बनाना, जानबूझ कर हत्या करना, प्रताड़ना या फिर युद्ध बंदियों के साथ अमानवीय व्यवहार और बच्चों को युद्ध में जाने पर मजबूर करना आदि युद्ध अपराध में शामिल है।
युद्ध अपराध की सुनवाई कैसे होती है
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना 1998 में नीदरलैंड्स के हेग में हुई थी। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नुकसान पहुंचाने के सबसे गंभीर अपराधों के अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने वाली और सुनवाई करने वाली एक स्वतंत्र संस्था है। यह युद्ध अपराधों, नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और आक्रामकता के अपराध की जांच करता है। आईसीसी में 18 जजों होते हैं , जो अंतरराष्ट्रीय आपराधिक मामलों पर फैसला सुनाते हैं। इस समय इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में 123 सदस्य देश हैं, रूस और यूक्रेन इसके सदस्य नहीं हैं। रूस पहले इसका सदस्य था लेकिन 2016 में इससे अलग हो गया। लेकिन यूक्रेन ने अदालत के न्याय क्षेत्र को स्वीकार किया है, यानी अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यूक्रेन में अपराधों की जांच कर सकती हैं। इसके अलावा अमेरिका, चीन और भारत भी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य नहीं हैं
यूक्रेन के सुमी में फंसे सभी 694 भारतीय छात्र निकले, बस से पोल्टोवा के लिए हुए रवाना
अब तक इन्हें मिल चुकी है सजा
गैर सरकारी सगंठन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सीएफआर) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में पहला युद्ध अपराध का मामला 1945 में नाजी शासकों पर चला था। उन पर बड़ी संख्या में यहूदियों को मौत के घाट उतारने का आरोप था। चार साल तक चली सुनवाई में कुल 25 आरोपियों में से 11 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई गई थी।
जापानी सेना के जनरल यामाशिता तोमोयुकी पर आरोप था कि उन्होंने 1945 में फिलीपींस में युद्धबंदियों और स्थानीय लोगों के खिलाफ युद्ध शुरू किया। अमेरिका के सैन्य आयोग ने राजधानी मनीला में इस पूरे मामले की सुनवाई शुरू की। आयोग ने जनरल तोमोयुकी को शीर्ष सैन्य अधिकारी के रूप में इसके लिए युद्ध अपराध का दोषी माना। यामाशिता को 1946 में मनीला में फांसी दी गई थी।
इसके अलावा 90 के दशक के बाद ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन, कांगो के पूर्व उप राष्ट्रपति जीन पियरे , सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल-बशर, लीबीया के मुअम्मर अल कद्दाफी, कोसोव प्रेसिडेंट हाशिम थासी आदि भी जांच का सामना कर चुके हैं।
विस्तृत रिपोर्ट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें..