चीन ने माना- अमेरिकी फाइटर जेट F-35 की कॉपी है उसका लड़ाकू विमान J-20

चेंग्दू एयरक्राफ्ट डिजायन इंस्टूट्यूट (सीएडीआई) के चीफ यांग यी ने माना है कि चीन का जे-20 लड़ाकू विमान अमेरिकी फाइटर प्लेन एफ-35 को देखकर तैयार किया गया है। यांग जे-20 के उन्नत संस्करण पर काम कर रहे हैं।

China admis its J 20 is copy of US fighter plane F 35
चीन ने माना कि उसका फाइटर प्लेन जे 20 अमेरिका के एफ 35 की नकल है। 
मुख्य बातें
  • चीन के रक्षा विशेषज्ञ ने माना कि जे-20 अमेरिकी फाइटर प्लेन एफ 35 की कॉपी है
  • चीन के सीएडीआई) के चीफ यांग यी जे-20 के उन्नत संस्करण पर काम कर रहे हैं
  • यांग के इस खुलासे के बाद अमेरिका के साथ चीन का तनाव और बढ़ सकता है

नई दिल्ली : चीन दुनिया के बेहतरीन उत्पादों की नकल करने में माहिर है, यह बात सभी को पता है लेकिन हालांकि वह खुद इस बात से इंकार करता रहा है लेकिन उसका फाइटर जेट जे-20 अमेरिका लड़ाकू विमान एफ-35 की कॉपी है, इसे उसने स्वीकार कर लिया है। चेंग्दू एयरक्राफ्ट डिजायन इंस्टूट्यूट (सीएडीआई) के चीफ यांग यी ने यह बात स्वीकार की है। सीएडीआई जे-20 के संशोधित संस्करण पर काम कर रहा है। माना जाता है कि यांग की इस स्वीकारोक्ति के बाद अमेरिका के साथ उसका तनाव बढ़ सकता है। कोरोना वायरस और आर्थिक नीतियों को लेकर चीन और अमेरिका के संबंधों पहले ही खटास के दौर से गुजर रहे हैं।

जे-20 के उन्नत संस्करण पर काम कर रहा चीन
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यांग ने हाल ही में कहा है कि सीएडीआई लंबे समय जे-20 का उन्नत संस्करण विकसित करने में जुटा है। उन्होंने कहा कि जे-20 अमेरिकी फाइटर एफ-35 को देखकर तैयार किया गया है। हालांकि, यांग के इस कबूलनामे को कई सैन्य विशेषज्ञ सही नहीं ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि यांग को खुले तौर पर यह नहीं मानना चाहिए था कि जे-20 अमेरिकी एफ-35 की कॉपी है। यांग एफसी-31 के एक बेहतर विकल्प के लिए जे-20 के उन्नत संस्करण पर काम कर रहे हैं। यांग ने माना है कि जे-20 अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-35 के कॉम्बेट और जेट डिजाइनिंग के सिद्धांत पर आधारित है।

एफसी-31 में लगेगा अभी 10 वर्षों का समय
रिपोर्ट में चीन की सेना से जुड़े एक व्यक्ति के हवाले से कहा गया है, 'चीन एफसी-31 का इस्तेमाल यदि अपने नए फाइटर जेट के रूप में करना चाहता है तो इसके ऑपरेशनलाइज होने में कम से कम 10 वर्षों का समय लगेगा और इस समय तक अमेरिका लड़ाकू विमानों के मामले में उससे और आगे होगा।' बता दें कि एफसी-31 पर चीन की एक दूसरी कंपनी काम कर रही है।

फ्रांस से भारत पहुंचे हैं राफेल विमान 
बता दें कि फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की पहले खेप 29 जुलाई को भारत पहुंची। फ्रांस की कंपनी ने दसौं ने पहली खेप में पांच विमानों को भारत को सौंपा है। राफले के आ जाने के बाद भारतीय वायु सेना की ताकत पहले से ज्यादा बढ़ गई है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि राफेल तकनीकी और सामरिक लहजे से चीन के जे-20 से बेहतरीन विमान है। चीन अपने जे-20 को पांचवीं पीढ़ी का विमान होने का दावा करता है लेकिन विशेषज्ञ उसके इस दावे पर सवाल खड़े करते हैं क्योंकि जे-20 का इंजन पुराना है। राफेल 4.5 पीढ़ी का विमान है और उसमें सेमी स्टील्थ फीचर लगा है। मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काफी घातक हो जाता है।

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