बीजिंग : चीन में कोरोना वायरस महामारी की तरह फैल रहा है। इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से अब तक 722 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34,546 इस वायरस के कारण संक्रमित हैं। भारत सहित दुनिया के कई देशों में यह तेजी से पांव पसार रहा है और 27 से अधिक देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं। इस घातक बीमारी की शुरुआत हुए तकरीबन दो महीने का वक्त हो चुका है, लेकिन इसका इलाज अब तक नहीं ढूंढ़ा जा सका है।
महामारी की तरह फैल रहे कोरोना वायरस के उपचार के लिए चीन आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ देसी इलाज को भी अपना रहा है। इस बीच चीन ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के उपचार के लिए एंटीवायरल दवा 'रेमडेजिवायर' का इस्तेमाल करने का फैसला किया है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से भी मंजूरी मिल गई है। यह दवा अमेरिकी कंपनी जीलेड ने अफ्रीका में 2013-16 के बीच तबाही मचाने वाले इबोला वायरस के संक्रमण के उपचार के लिए बनाई थी। हालांकि इबोला के उपचार में यह बहुत कारगर साबित नहीं हुई थी।
क्लिनिकल ट्रायल
यह दवा कोरोना वायरस के उपचार में कितनी कारगर होगी, इस बारे में फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है, जो इबोला से बिल्कुल अलग तरह का वायरस है। फिलहाल कुछ मरीजों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल (इसकी जांच कि मरीजों पर इसका कितना असर होता है) किया जा रहा है। चीन ने गुरुवार (6 फरवरी) से ही वुहान में रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल (RCT) शुरू कर दिया है, जहां कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर 2019 में सामाने आया था और जो इस जानलेवा वायरस के सबसे अधिक संक्रमण की चपेट में है।
इस दवा से उपचार कब से शुरू होगा, इस बारे में पूछे जाने पर हुबेई प्रांत में मेडिकल उपचार यूनिट के विशेषज्ञ झाओ जियापिंग ने कहा, 'नई दवाओं के वैज्ञानिक प्रभाव के मूल्यांकन के लिए सख्त पैमाना है। मरीजों पर इसका इस्तेमाल अपेक्षित नतीजे आने के बाद ही किया जा सकता है।'
चूहों, बंदरों पर आजमाया गया
कोरोना से संक्रमित इंसानों के उपचार के लिए यह कितना कारगर साबित होता है, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन बताया जा रहा है कि संक्रमित चूहों और बंदरों पर इसे आजमाया जा चुका है, जिसमें इसे कोरोना वायरस के उपचार में उपयोगी पाया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन में कोरोना वायरस से संक्रमित एक मरीज की बीते सप्ताह हालत बिगड़ने पर उसे यह दवा दी गई थी, जिसके बाद अगले ही दिन में उसमें सुधार देखा गया था।