BRI के जरिये छोटे देशों को कर्ज में ही नहीं उलझा जा रहा 'ड्रैगन', पारिस्थितिकी को भी पहुंचा रहा नुकसान

China BRI debt trapping: चीन अपनी महत्‍वाकांक्षी बीआरआई परियोजना के जरिये दुनिया के कई देशों को न केवल कर्ज के जाल में फंसा रहा है, बल्कि पारिस्थितिकी को भी गहरा नुकसान पहुंचा रहा है।

BRI पर यूं चाल चल रहा है चीन, नई रिपोर्ट में फिर हुआ खुलासा
BRI पर यूं चाल चल रहा है चीन, नई रिपोर्ट में फिर हुआ खुलासा  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली: चीन पर अपनी अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के जरिये दुनिया के कई छोटे देशों को कर्ज के जाल में उलझाने का आरोप लगता रहा है। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन किस तरह इसके जरिये दुनिया के छोटे व आर्थिक तंगी का सामना कर रहे देशों को न केवल कर्ज के जाल में उलझा रहा है, बल्कि उसकी यह परियोजना पर्यावरण व पारिस्थितिकी के लिए भी नुकसानदेह है।

चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना को विभिन्‍न देशों के लिए आपसी लाभ के एक अवसर के रूप बताया है, लेकिन एक नई रिपोर्ट में इसे लेकर चीन के कपट को उजागर किया गया है। 'इनसाइडओवर' की एक रिपोर्ट के अनुसार, BRI परियोजना बेकार खर्च, पारिस्थितिकी के विनाश और भारी कर्ज बोझ का पर्याय बन गई है और इसका उद्देश्य बस संबंधित देश के प्राकृतिक संसाधनों या आम लोगों के हितों की कीमत पर वहां के नेताओं और चीनी कंपनियों के लिए मुनाफा कमाना है।

चीन को BRI पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का साफ संदेश, 'कोई भी गंभीर संपर्क पहल एकतरफा नहीं हो सकती'

चीनी परियोजना से फैल रहा भ्रष्‍टाचार

साल 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, BRI से संबंधित 1,814 परियोजनाओं में से 270 में ऋण स्थिरता, श्रम और पर्यावरण मानकों, राष्ट्रीय सुरक्षा, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार से संबंधित समस्याएं थीं। अफ्रीका में चीनी कंपनियों ने कॉन्‍ट्रैक्ट के बदले रिश्वत देना स्वीकार किया है। 2017 में मैकिन्से सर्वे से पता चलता है कि अफ्रीका में 60-80 फीसदी चीनी कंपनियों ने अनुबंध हासिल करने में रिश्वत देने की बात स्वीकार की।

चीन में अब सरकारी बैंक के पूर्व प्रमुख को उम्रकैद, BRI से जुड़ी परियोजनाएं बनीं वजह?

इसमें अफ्रीका के कई देशों और अन्‍य मुल्‍कों का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि चीन ने इन देशों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। इसकी वजह से इन देशों में कुप्रबंधन और भ्रष्‍टाचार की समस्‍या पैदा हुई, जिसकी वजह से यहां के नेताओं और चीनी कंपनियों को तो लाभ मिल रहा है, लेकिन कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में ये देश चीन के जाल में फंसते जा रहे हैं और चीन इसका इस्‍तेमाल नव-औपनिवेशिक विस्‍तार के तौर पर कर रहा है।

'चीन की बीआरआई योजना से पेरिस जलवायु समझौते को लगेगा धक्का'

पर्यावरण व पारिस्थितिकी को नुकसान

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस परियोजना के तहत विभ‍िन्‍न देशों में रेलवे, पुल, सड़क सहित जो भी निर्माण गतिविधियां हो रही हैं, उसमें पर्यावरण व पारिस्थितिकी से जुड़े नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है और चीन के कर्ज तले दबी संबंधित देशों की सरकारें इस संबंध में चीनी कंपनियों के खिलाफ कोई सख्‍त कदम नहीं उठा पा रही हैं। इस तरह ये परियोजनाओं विभिन्‍न स्‍थानों पर पर्यावरण व पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

अगली खबर