नई दिल्ली: किसी भी देश की रीढ़ उसकी आर्थिक शक्ति होती है, इस लिहाज से चीन की रीढ़ इस समय बहुत मज़बूत है, इससे भी ज़रूरी बात ये है कि चीन में एक पार्टी का राज चलता है। चीन अपने देश में अंदरूनी कलह को बखूबी दबाने की न सिर्फ़ क्षमता रखता है बल्कि दुनिया की परवाह किये बगैर वो उसे दबा भी देता है। तिब्बत, हांगकांग की हालत हम सब को मालूम है। रही बात शिनच्यांग की तो पूरे विश्व में 57 मुस्लिम देश भी चीन का बाल बांका नहीं कर पाए क्योंकि चीन के पास आज इतनी मज़बूत सैन्य शक्ति है कि वो इन सारे 57 देशों से अकेले ही मज़बूती से निपट सकता है। साथ ही इन सारे मुस्लिम राष्ट्रों को चीन से होने वाली आर्थिक मदद और व्यापार में लाभ मिल रहा है इसलिये ये लोग चीन के विरुद्ध कोई आवाज़ नहीं उठा रहे हैं।
चीन का मकसद साफ कि उसे करना क्या है
चीन एक रहस्यमयी देश है इसकी मंशा पर किसी को अगर कोई भ्रम है तो ये गलती चीन की नहीं है, क्योंकि चीन ने बहुत पहले ही उस समय अपना लक्ष्य तय कर लिया था जब वो एक साम्यवादी देश के रूप में विदेशियों के चंगुल से आज़ाद हुआ था। दरअसल चीन का असल मकसद पूरी दुनिया पर राज करना है, जिसकी रूपरेखा चेयरमैन माओ ने वर्ष 1949 में ही बना ली थी जिसमें उनके कुछ चुने हुए कॉमरेड भी शामिल थे। चीन का पहला उद्देश्य पूरे विश्व को उसकी ज़रूरत का साज़ो सामान मुहैया करना था जो उसने बखूबी पूरा कर लिया है। इसके बाद चीन का मकसद अपनी विशाल आबादी, जो कि चीन की मुक्ति के बाद एक बोझ थी उसे अपने एसेट के रूप में बदलना था। इस बोझ को अपने लिये वरदान में बदलने के काम को भी चीन ने बखूबी से पूरा कर लिया। आज चीन विश्व की दूसरी आर्थिक महाशक्ति बन बैठा है, ये मानवीय स्वभाव है कि जब शक्ति आती है तो वो दिखना भी चाहती है और बाकी लोगों को अपने सामने नतमस्तक भी करना चाहती है।
चीन का मकसद हर मामले में अमेरिका से आगे जाना
चीन का असल मकसद अमेरिका से हर मामले में आगे बढ़ना है। इसके लिये चीन ने बहुत पहले से तैयारी कर ली थी, सबसे अहम बात ये है कि चीनियों में गज़ब की पाचन क्षमता होती है, जो अपनी विफलता और सफलता को अपने चेहरे के हाव भाव पर ज़ाहिर नहीं होने देते हैं और ना ही अपनी वाणी और अपनी बॉडी लैंग्वेज से ज़ाहिर होने देते हैं। वर्ष 2019 में जब चीन और अमेरिका में व्यापार युद्ध अपने चरम पर था उस समय चीन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दुनिया को ये संदेश दिया था कि वो विश्व का बॉस नहीं बनना चाहता है, बल्कि वो तो सभी देशों से मित्रवत संबंध बनाते हुए व्यापार करना चाहता है। लेकिन चीन का असल मकसद पूरी दुनिया पर सैन्य अधिकार जमाना है।
सैन्य ठिकानों को मजबूत बनाा रहा है चीन
इन दिनों चीन इसी योजना के तहत जगह जगह अपने सैन्य ठिकाने बना कर उन्हें मज़बूत कर रहा है। वह फिर चाहे दक्षिणी चीन सागर को लेकर अमेरिका और अपने पड़ोसियों से वैमनस्यता मोल लेना हो या फिर अंडमान द्वीप के सुदूर उत्तरी छोर पर बसे कोको द्वीप (जो कि म्यांमार के अधिपत्य में था) पर वायुसेना और नौ सेना का अड्डा बनाना हो। इसके अलावा वो फिर पूर्वी अफ्रीकी देश जिबूती में अपना बड़ा नौसेना अड्डा बनाना हो या फिर ग्वादर, हम्बनटोटा बंदरगाह जैसे कई बंदरगाहों को छल और धन के बल से अपने कब्ज़े में लेना हो।
चालबाजी में चीन का कोई सानी नहीं
पहले चीन का रवैया अपनी असल ताकत को छुपाकर रखने का होता था, लेकिन चोरी छिपे चीन ने पश्चिम की सारी तकनीकों को अपने देश में नकल कर बनाना शुरु किया, क्योंकि पहले चीन में कॉपीराइट नहीं चलता था। वैसे चीन कॉपी राइट के झंझट में पड़ना भी नहीं चाहता था, अपने अंदरूनी मामलों को चीन ने अपने तरीके से निपटाया और किसी की नहीं सुनी। जब विदेशों में चीन के खिलाफ़ आवाज़ उठाई जाती तो चीन के शासक अपनी चिर परिचित बनावटी मुस्कान से काम चला लेते थे।
चीन को भरोसा सिर्फ अपनी मीडिया पर
चीन ने अपने अंदरूनी मामलों को बाहर जाने से रोकने के लिये कई कदम उठाए मसलन विदेशी मीडिया से चीन कभी नहीं जुड़ा, यही नहीं, सोशल मीडिया के दौर में भी चीन ने विदेशों पर आश्रित रहने के बजाए खुद का मीडिया बनाया, मसलन गूगल की जगह बाईदू, यूट्यूब की जगह यूखू, तुदोऊ, आईछीआईवाईआई (IQIYI), 56.कॉम, फ़ेसबुक की तर्ज पर रेनरेन, व्हाट्सऐप की जगह वी चैट इत्यादि। इन सबके सर्वर भी चीन में ही हैं जिससे चीन जब चाहे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकता है और बाहरी सर्वर पर निर्भर नहीं है। इससे चीन की गोपनीयता बहुत अच्छे से बची हुई है। चीन ने अपने देश में बाहरी इंटरनेट पर कड़ा प्रतिबंध लगा रखा है और अपने देश के लोगों को सिर्फ़ अपनी वेबसाइट इस्तेमाल करने के निर्देश दे रखे हैं।
कोविड 19 पर चीन ने दुनिया को किया गुमराह
चीन की नीयत शुरू से खुद को महाशक्ति बनाने में रही है। इसके लिए वह बार बार नियमों की अनदेखी करता है। अपने हिसाब से उन्हें तोड़ता-मरोड़ता है। हर चीज को अपने मुताबिक पेश करता है। कोविड 19 पूरी दुनिया मानती है कि यह वूहान शहर से फैला लेकिन चीन इसे सिरे से खारिज करता है। चीन में कोरोना के आंकड़ों को उसने अपने मुताबिक फेरबदल कर पेश करता रहा और पूरी दुनिया को गुमराह किया। चीन पर भरोसा करना हमेशा मुश्किल ही रहा है क्योंकि उसने भारत के साथ मित्रता कर पीठ में छुरा घोंपा। इसलिए चीन सही मायने में रहस्यमयी है और उसकी नीयत हमेशा से सवालों के घेरे में रही है।