हथियारों के साथ LAC पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी, देश के लिए हैं गंभीर सुरक्षा चुनौती: एस जयशंकर

दुनिया
किशोर जोशी
Updated Oct 17, 2020 | 07:00 IST

भारत औऱ चीन के बीच एलएसी पर चल रहे मौजूदा विवाद को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गहरी चिंता जताई है। विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा के उस पार बड़ी संख्या में चीनी सैनिक हथियारों के साथ मौजूद है।

Chinese troops with weapons at LAC in eastern Ladakh very critical security challenge says EAM Jaishankar
LAC पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी है गंभीर सुरक्षा चुनौती: EAM 
मुख्य बातें
  • भारत और चीन के बीच लद्दाख में लंबे समय से चल रहा है तनाव
  • विदेश मंत्री बोले- दोनों पक्षों के आपसी संबंध हुए उथल- पुथल
  • विदेश मंत्री बोले- गलवान हिंसक झड़प का गहरा सार्वजनिक, राजनीतिक प्रभाव पड़ा है

न्यूयॉर्क: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हथियारों के साथ बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौजूदगी, भारत के लिए "बहुत ही गंभीर" सुरक्षा चुनौती की। जयशंकर ने यह भी कहा कि जून में लद्दाख सेक्टर में हुई हिंसक झड़पों का सार्वजनिक और राजनीतिक प्रभाव बहुत गहरा रहा और इसने भारत और चीन के बीच संबंधों को उथल-पुथल कर दिया।

 विदेश मंत्री ने किया 15 जून की घटना का जिक्र

जयशंकर ने एशिया सोसाइटी द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान कहा, 'आज बहुत बड़ी संख्या में चीनी सेना (पीएलए) के सैनिक जो हथियारों से लैस हैं, वो सीमा के उस पार मौजूद हैं और यह बहुत महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती है।' 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद भारत और चीन के बीच तनाव कई गुना बढ़ गया था, जिसमें 20 भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए हैं। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

30 वर्षों के दौरान बना था अहम रिश्ता

 जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले 30 वर्षों के दौरान चीन के साथ एक रिश्ता बनाया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति उस संबंध के आधार पर रही है। उन्होंने कहा कि 1993 से लेक अभी तक अनेक समझौते हुए हैं, जिन्होंने उस शांति और शांति के लिए रूपरेखा तैयार की, जिसने सीमा क्षेत्रों में आने वाले सैन्य बलों को सीमित किया औऱ यह तय किया कि कैसे सीमा का प्रबंधन किया जाए। साथ ही ये भी निर्धारित हुआ कि जब वे एक दूसरे से संपर्क करते हैं तो सीमा सैनिक कैसे व्यवहार करें।

15 जून की घटना बेहद दुखद
विदेश मंत्री ने कहा,, 'इसलिए अवधारणा के स्तर से व्यवहार के स्तर तक, पूरी एक रूपरेखा थी। अब हमने इस साल क्या देखा कि समझौतों की इस पूरी श्रृंखला को दरकिनार किया गया। सीमा पर चीनी बलों की बड़ी संख्या में तैनाती स्पष्ट रूप से इन सबके विपरीत है।और जब आप टकराव वाली स्थिति आई जहां विभिन्न प्वाइंट्स पर बड़ी संख्या में सेना के जवान एक-दूसरे के बहुत करीब रहे और इसी का कारण है कि 15 जून की दुखद घटना घटी। इस हिंसक झड़प की व्यापकता को इस तरह समझा जा सकता है कि यह 1975 के बाद पहली सैन्य झड़प थी जिसमें इतने सैनिक शहीद हुए थे। इसका स्पष्ट रूप से बहुत गहरा सार्वजनिक प्रभाव, बहुत बड़ा राजनीतिक प्रभाव पड़ा है और इसने आपसी रिश्तों को बहुत प्रभावित किया है।'

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