Afghanistan : तालिबान के सामने यूं ही धाराशायी नहीं हुए अफगान बल, नई रिपोर्ट में बताई हार की वजह 

Afghanistan Crisis : वाशिंगटन पोस्ट की ओर से जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी आक्रामक कार्रवाई गत वसंत महीने में ही शुरू कर दी थी।

Collapse of Afghan security forces was not abrupt but slow, painful: Report
अफगान बलों की हार पर वाशिंगटन पोस्ट की नई रिपोर्ट। -प्रतीकात्मक तस्वीर  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में तालिबान के सामने अफगान बलों की हार पर एक नई रिपोर्ट आई है
  • वाशिंगटन पोस्ट की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगान बलों की हर अचानक शुरू नहीं हुई
  • अफगान सैनिकों एवं पुलिसकर्मियों को कई महीने से वेतन नहीं मिला था, उनका मनोबल टूट गया था

वाशिंगटन : अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने की अमेरिका (America) की घोषणा के बाद तालिबान (Taliban) ने इस देश पर अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी। वह एक-एक कर जिलों एवं प्रांतीय राजधानियों को जीतता गया। इस संघर्ष में अफगान सुरक्षाकर्मी (Afghan Force) जिस तरह से मोर्चे से पीछे हटे या उनकी हार हुई, उसे देखकर यह कहा जाने लगा कि इस देश पर तालिबान का कब्जा जल्द हो जाएगा। अफगानिस्तान के तालिबान के नियंत्रण में जाने पर अब एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अफगानिस्तान में अफगान बलों ने जिस तरह से घुटने टेके, वह अचानक नहीं हुआ बल्कि यह 'धीरे-धीरे हुआ और यह एक पीड़ादायक असफलता थी।' अफगान बलों की हार का सिलसिला राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा होने से महीनों पहले ही शुरू हो गया था। 

वसंत महीने में ही आक्रामक हो गया था तालिबान

वाशिंगटन पोस्ट की ओर से जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी आक्रामक कार्रवाई गत वसंत महीने में ही शुरू कर दी थी और जैसे ही अमेरिकी सैनिकों की वापसी में तेजी आनी शुरू हुई, उस समय अफगानिस्तान के स्पेशल बलों को बड़े हिस्से को रक्षा मंत्रालय की कमान के अधीन लाया गया। अमेरिकी सेना के एक कैप्टन ने नाम उजागर न करने की शर्त पर पोस्ट को बताया कि इस कदम से अफगान बलों की आजादी कुछ हद तक प्रभावित हुई।  

'6 महीने से बिना वेतन लड़ रहे थे अफगान बल'

रिपोर्ट के मुताबिक अग्रिम मोर्चों पर तालिबान लड़ाकों से लड़ने वाले अफगान पुलिस कर्मियों को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिला था। यह बात बड़े स्तर पर कही जाती है कि जवानों को वेतन न मिलने से उनके मनोबल पर बुरा प्रभाव पड़ा। सैनिकों एवं जवानों का कमजोर हौसला उनकी हार का एक बड़ा कारण बना। जवानों को वेतन न मिलने का मुद्दा तो था ही। इसके अलावा अफगान बलों में जो सबसे ज्यादा प्रशिक्षित जवान थे उन्हें बचाव अभियान में लगा दिया गया। संघर्ष के दौरान उन्हें अमेरिकी वायु सेना की मदद नहीं मिली। 

'हम जानते थे कि तालिबान को कैसे हराना है'

रिपोर्ट में अफगानिस्तान के विशेष बल के एक कप्तान के हवाले से कहा गया है कि 'हम जानते थे कि तालिबान को कैसे हराना है लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने हमारी बातें नहीं सुनी।' अफगान कमांडो लेफ्टिनेंट अब्दुल हामिद बराकजई का कहना है कि 'यह वैसा नहीं था जैसा करने के लिए हमें प्रशिक्षित किया गया।' 'फॉक्स' न्यूज से बातचीत में जनरल मार्क मिले ने कहा कि 'अफगान बलों का टूट जाना कुछ ज्यादा तेजी के साथ हुआ और यह बहुत ही उम्मीदों के अनुरूप नहीं था। अफगान बलों के धाराशायी होने के बाद वहां की सरकार भी गिर गई।'

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