जो बाइडेन सरकार ने पाकिस्तान को एफ-16 कार्यक्रम को और आगे बढ़ाने में मदद देने का फैसला किया है। इसके लिए 450 मिलियन डॉलर की सहायता देगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पाकिस्तान को यूक्रेन को हथियार मुहैया कराने का इनाम है। क्या इसकी वजह से पाकिस्तान जो अब तक ग्रे लिस्ट में वो उससे बाहर आ जाएगा। आखिर भारत को चिंतित होने की वजह क्या है। अमेरिकी सरकार के फैसले से भारत सरकार खुश नहीं है। भारत सरकार ने स्पष्ट तौर पर अमेरिका से नाराजगी भी जताई है। जो बाइडेन प्रशासन से भारत का सवाल था इस बात की क्या गारंटी है कि एफ-16 का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा। भारत का तर्क था कि ऑपरेशन बालाकोट के बाद पाकिस्तान ने किस तरह से एफ-16 का इस्तेमाल किया था।
अमेरिकी मदद के पीछे यह वजह
जनरल बाजवा ने ब्रिटिश विमानों के जरिए यूक्रेन को गोला-बारूद की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह फैसला पूर्व पीएम इमरान खान के रूस से बेहतरीन संबंध कायम करने के खिलाफ था। माना जा रहा है कि अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना को इनाम दिया है। पिछले आम चुनावों में नवाज शरीफ से छुटकारा पाने के लिए एक बार उसी सेना प्रमुख द्वारा हथियार दिया गया था। इमरान खान मास्को में थे और 24 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे। जिस दिन लाल सेना ने यूक्रेन पर हमला किया था।
यह भारत के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तनाव कम करने के लिए जनरल बाजवा के प्रयासों की अमेरिकी मान्यता भी है। अमेरिका ने साफ किया है कि पाकिस्तान को यह समर्थन सिर्फ एफ-16 लड़ाकू विमानों को बनाए रखने के लिए है। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा सैन्य बिक्री को सही ठहराने के लिये जो तर्क पेश किए गए हैं वो भारत के गले नहीं उतर रहा।
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भारत ने व्यक्त की चिंता
भारत की चिंता को समझते हुए अमेरिका की तरफ से बयान आया है कि इनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा।वाशिंगटन ने अपनी ओर से भारत को यह बता दिया है कि बहु-मिलियन समर्थन भारत को प्रभावित नहीं करेगा या भारतीय उपमहाद्वीप में सैन्य संतुलन को नहीं बदलेगा। पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर करीबी नजर रखने वाले बताते हैं कि एफ-16 कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी मदद के पीछे यह वजह है।