स्कार्दू : पाकिस्तान कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय बनाने का कोई मौका नहीं चूकता। वह भारत पर कई तरह के आरोप कश्मीर को लेकर लगाता है, लेकिन कश्मीर के जिस हिस्से पर उसने कब्जा कर रखा है, वहां आम लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरह रहे हैं। यही वजह है कि अक्सर यहां स्थानीय प्रशासन के खिलाफ जनाक्रोश देखने को मिलता है। गिलगित-बाल्टिस्तान भी ऐसा ही इलाका है, जहां लोग स्थानीय प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान में मंगलवार को स्थानीय नागरिकों, छात्रों ने प्रशासन की उदासीनता को लेकर एक हाईवे पर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि पीने के पानी में सीवेज का पानी मिल रहा है और प्रशासन इसे लेकर उनकी अपील पर कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। उनकी नाराजगी स्कूलों में फीस दिए जाने के बावजूद टीचर्स की गैर-मौजूदगी को लेकर भी है, जिसके कारण यहां छात्र-छात्राएं पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान में सड़क पर प्रदर्शन कर रहे एक स्टूडेंट के मुताबिक, 'फीस दिए जाने के बावजूद हमारे शिक्षक नहीं आ रहे हैं। हमने प्रशासन से बार-बार अपील की कि वे स्कूलों में शिक्षक मुहैया कराएं और जो सैलरी लेने के बावजूद स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं, उनके खिलाफ एक्शन करें, लेकिन हमारी एक नहीं सुनी गई।' वहीं एक अन्य शख्स ने कहा, 'हम जानते हैं कि इस प्रदर्शन के कारण लोगों को असुविधा हो रही है, लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते।'
यहां उल्लेखनीय है कि भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान ने बीते साल नवंबर में गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराया था, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा की 23 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। इमरान खान की पार्टी उस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। हालांकि विपक्ष ने धांधली का आरोप लगाया था। वहीं, भारत ने सैन्य कब्जे वाले इस इलाके की स्थिति को बदलने को लेकर पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदम को खारिज करते हुए कहा था कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है।