नई दिल्ली : जापान अपने दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम हमले की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। 6 अगस्त को सुबह सवा आठ बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम का हमला हुआ। ये हमला इतना जबरदस्त था कि अगले कई महीनों तक इसके प्रकोप से लोगों की मौतें होती रही थी। दिसंबर के महीने तक इसकी वजह से 1 लाख 40 हजार लोगों को मौतें हो चुकी थीं।
इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ने लगा था। लोगों की शारीरिक बनावट बिगड़ने लगी थी। लोग शारीरिक रुप से विकलांग पैदा हो रहे थे। जापान के इस शहर को वापस से अपनी वास्तविक स्थिति में लौटने में कई बरस लग गए।
अभी हिरोशिमा में हुए परमाणु बम हमले से जापान उबरा भी नहीं था कि तीन दिन बाद 9 अगस्त को दूसरे शहर नागासाकी में दूसरा परमाणु बम हमला हो गया। इस दिन सुबह के 11 बजकर 2 मिनट पर शहर के उपर परमाणु बम गिराया गया। इस हमले में 74000 लोगों की जानें चली गई थी।
6 अगस्त की सुबह अमेरिकी वायु सेना ने जिस परमाणु बम को शहर के उपर गिराया था उसका नाम था लिटिल बॉय जबकि नागासाकी के उपर जिस परमाणु बम को गिराया था उसका नाम दिया था फैट मैन। हिरोशिमा पर किया गया परमाणु हमला दरअसल 1941 को अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर किए गए जापानी सेना के द्वारा हमले का बदला था।
इसके बाद अमेरिका ने पूरे तैयारी के साथ दूसरे विश्व युद्ध का ऐलान कर दिया था। पहले जापान की सरकार से सरेंडर करने को कहा गया था जिसके बाद वहां पर हमला कर दिया गया। सुबह के सवा 8 बजे गिराया गया परमाणु बम ने ऐसा धमाका किया कि 43 सेकेंड के भीतर ही शहर का 80 फीसद हिस्सा राख बनकर हवा में उड़ गया।
कुछ इसी प्रकार से मंगलवार दोपहर लेबनान की राजधानी बेरूत में देखने को मिला। बेरूत के तटीय इलाके में मंगलवार को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कोई तेज तीव्रता का भूकंप आया हो। दो भयंकर बम धमाकों की आवाज 200 किमी तक सुनाई पड़ी। धमाका इतना जबरदस्त था कि उंची-उंची इमारतें जमींदोज हो गई। इस बम धमाके में 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए और 3 हजार से भी ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस भयानक बम धमाके ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा में हुए परमाणु बम हमले की याद ताजा कर दी।
बेरूत गवर्नर का कहना है कि इस धमाके में 3 लाख लोग बेघर हो गए हैं। जिन्होंने भी ये धमाका देखा उन्होंने परमाणु बम धमाके से इसकी तुलना की। उन्होंने बताया कि ऐसा धमाका उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। कई लोगों मलबे में फंसे हुए हैं जिन्हें अब तक निकालने की कोशिश की जा रही है। इस धमाके में कई ऐसे अस्पताल भी हैं जो खुद तबाह हो गए हैं और इसी तरह से घायलों का इलाज कर रहे हैं।