पाकिस्तान: सिंध प्रांत में 'Karo-Kari' ऑनर किलिंग से अब तक 78 लोगों की मौत

दुनिया
Updated Sep 30, 2019 | 16:05 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Honor Killing in Pakistan: पाकिस्तान के सिंध के कुछ हिस्सों में इस साल जनवरी से जून के बीच ऑनर किलिंग की वजह से 78 लोग मारे गए हैं। वहीं, कई मामलों में अभी भी पुलिस की जांच अधूरी है।

Honor Killing in Pakistan
सिंध प्रांत में बीते छह महीनें में 70 लोगों की मौत ऑनर किलिंग के जरिए हुई  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • सिंध के कुछ हिस्सों में इस साल जनवरी से जून के बीच ऑनर किलिंग की वजह से 78 लोग मारे गए हैं
  • इस ऑनर किलिंग को यहां पर कारो-कारी (Karo-Kari) भी कहा जाता है
  • पुलिस का मानना है कि इस तरह की हत्याओं की जांच करना कठिन है

कराची: पाकिस्तान (Pakistan) के सिंध प्रांत (Sindh Province) में बीते छह महीनों में 70 से अधिक लोगों को ऑनर किलिंग (Honor killings) कर जान से मार दिया गया है। स्थानीय मीडिया की आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ये दावा किया गया है कि 2019 के पहले छह महीनों के दौरान सिंध के ग्रामीण हिस्सों में ऑनर किलिंग की वजह से 70 से अधिक लोगों को मौत हो चुकी है।

द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक अनुमान में कहा गया है कि सिंध के कुछ हिस्सों में इस साल जनवरी से जून के बीच ऑनर किलिंग की वजह से 78 लोग मारे गए हैं। इसे यहां 'कारो-कारी' (Karo-Kari)  भी कहा जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक कुल 65 मामलों को दर्ज किया गया है। इसके साथ ही 90 प्रतिशत मामलों में विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए सुनवाई लंबित है।

जानकारी के मुताबिक, आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया कि अधिकांश मामलों में पुलिस द्वारा जांच अधूरी है। ये आकंड़े पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सैयद कलीम इमाम द्वारा इस क्षेत्र में कारो-कारी हत्याओं की जांच की स्थिति की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता के बाद सामने आया है।

इमाम ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह पूरे प्रांत में कारो-कारी हत्याओं के सिलसिले में लोगों की सजा और रिहाई के बारे में केस-टू-केस के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे। इसके अलावा, उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जांच के दौरान कोई खामी (loopholes) नहीं छोड़ी जाए और अदालतों के समक्ष पर्याप्त रूप से सबूत पेश किया जाए।

पुलिस के अनुसार, कारो-कारी हत्याएं एक जघन्य अपराध जिसकी आधिकारियों के साथ मानवाधिकार संगठनों द्वारा खूब आलोचना की गई है। इस तरह की हत्याएं लगातार जारी है। पुलिस का मानना है कि इस तरह की हत्याओं की जांच करना मुश्किल हैं क्योंकि दोनों पीड़ित और आरोपी पक्ष आम तौर पर एक ही परिवार या जनजाति के होते हैं।

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