1999 : जमीन पर सेना नवाज शरीफ का तख्तापलट कर रही थी और आसमान में थे परवेज मुशर्रफ

दुनिया
आलोक राव
Updated Oct 12, 2020 | 09:39 IST

Militry Coup in Pakistan 1999: श्रीलंका में मुशर्रफ को जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री शरीफ और खुफिया एजेंसी के प्रमुख जनरल जियाउद्दीन के बीच इस्लामाबाद में एक गोपनीय बैठक हुई।

How 1999 Pakistan coup unfolded nawaz sharif government toppled by Pervez Musharraf
साल 1999 में नवाज सरकार का हुआ तख्तापलट। 
मुख्य बातें
  • 1999 में जिस समय पाकिस्तान में नवाज शरीफ का तख्तापलट हो रहा था उस समय श्रीलंका में थे मुशर्रफ
  • अपने खिलाफ देश में कार्वराई होने की सूचना मिलने पर श्रीलंका से यात्री विमान से रवाना हुए पाक सेना प्रमुख
  • कराची एयरपोर्ट पर मुशर्रफ के विमान को उतरने की अनुमति नहीं मिल रही थी फिर भी वह अपने रुख पर अड़े रहे

नई दिल्ली : कारगिल युद्ध समाप्त हो गया था। पाकिस्तान की गद्दी पर नवाज शरीफ विराजमान थे और सेना की कमान परवेज मुशर्रफ के हाथों में थी। कारगिल युद्ध को लेकर शरीफ और मुशर्रफ के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा था यह बात तो सभी को पता थी लेकिन 12 अक्टूबर 1999 को नवाज सरकार का तख्तापलट हो जाएगा, शायद इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी। मुशर्रफ ने बहुत बारीकी और समझदारी के साथ तख्तापलट की साजिश रची थी। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि तख्तापलट के समय वह खुद पाकिस्तान में नहीं थे। वह श्रीलंका गए हुए थे। श्रीलंका से उनके उड़ान भरने के बाद पाकिस्तान में सेना ने नागरिक सरकार के प्रतिष्ठानों पर कब्जा करते हुए नवाज सरकार को सत्ता से बेदखल करना शुरू किया। मुशर्रफ के इशारे पर सेना ने महज 17 घंटों में नवाज सरकार को सत्ता से हटा दिया। 

शरीफ और जियाउद्दीन के बीच हुई थी बैठक
बताया जाता है कि श्रीलंका में मुशर्रफ को जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री शरीफ और खुफिया एजेंसी के प्रमुख जनरल जियाउद्दीन के बीच इस्लामाबाद में एक गोपनीय बैठक हुई और ये दोनों मिलकर मुशर्रफ के खिलाफ कदम उठाना चाहते हैं। बताया गया कि मुशर्रफ को 'रिटायर' करने के साथ जनरल जियाउद्दीन को सेना की कमान सौंपी जाएगी। यह खबर मिलते ही मुशर्रफ कराची के लिए विमान पकड़ने के लिए कोलंबो एयरपोर्ट पहुंचे और पाकिस्तान जाने वाली पीआईए के विमान पर सवार हो गए। उधर, इस्लामाबाद में मुशर्रफ समर्थक सेना के अधिकारी लामबंद हो गए और रावलपिंडी में सेना को तख्तापलट के लिए तैयार करने लगे।

शरीफ ने जियाउद्दीन को सेना प्रमुख बनाया
शरीफ ने 12 अक्टूबर को दिन में इस्लामाबाद स्थित अपने आवास पर जनरल जियाउद्दीन को सेना प्रमुख बनाए जाने की घोषणा की लेकिन पाक सेना इसके लिए तैयार नहीं थी। सेना के अधिकारी शुरू से ही जियाउद्दीन के फरमानों को अनसुना करने लगे। सेना में बगावत को देखते हुए शरीफ और जियाउद्दीन को यह महसूस होने लगा कि बदली हुई परिस्थितियों में मुशर्रफ को पाकिस्तान आने से रोकना होगा। करीब चार बजे नवाज शरीफ कार्यालय ने मुशर्रफ के रिटायर होने की घोषणा कर दी। इसके एक घंटे बाद 10वीं कोर की 111 ब्रिगेड इस्लामाबाद पहुंच गई। 

Coup in Pakistan(तस्वीर सौजन्य-डॉन डॉट कॉम)

इस्लामाबाद के हर कोने में तैनात हो गई सेना
राजधानी पहुंचने के बाद सेना प्रत्यके सड़क और गलियों में तैनात हो गई। 111वीं ब्रिगेड इस्लामाबाद स्थित सरकारी टेलिविजन के इमारत पर धावा बोल दिया और उसे अपने नियंत्रण में ले लिया। सेना शरीफ के आवास पर पहुंची और वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों के हथियार छीन लिए। सेना ने शरीफ पर इस्तीफे के लिए दबाव डाला लेकिन उन्होंने त्यागप्र देने सेइंकार कर दिया। इसके बाद सेना उन्हें प्रधानमंत्री आवास से निकालकर एयरपोर्ट के पास एक गेस्ट हाउस में ले गई। 

सेना ने सरकारी भवनों को कब्जे में लिया
देखते ही देखते ही सेना ने देश भर में सरकार के सभी महत्वपूर्ण एवं प्रतिष्ठित संस्थानों को अपने कब्जे में ले लिया। शरीफ के प्रति निष्ठावान नेताओं एवं मुख्यमंत्रियों को नजरबंद कर दिया गया। पाकिस्तान में यह सब कुछ हो रहा था लेकिन परवेज मुशर्रफ धरती पर नहीं बल्कि आसमान में थे। इन सबके बीच मुशर्रफ का विमान शाम साढ़े छह बजे कराची एयरपोर्ट के पास पहुंचा। इस विमान में मुशर्रफ के साथ करीब 200 यात्री सवार थे। शरीफ पर बाद में जो आरोप लगा उसमें कहा गया कि मुशर्रफ को हिरासत में लेने लिए नवाज ने अपना जेट और सुरक्षा टीम को भेजा था। 

विमान में केवल सात मिनट का ईंधन बचा था
मुशर्रफ को इस बात का अंदाजा था कि शरीफ उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कुछ कर सकते हैं। इसलिए यह जानते हुए भी कि विमान में ईंधन काफी कम बचा है उन्होंने विमान को कराची एयरपोर्ट का चक्कर लगाते रहने के लिए कहा। बताया जाता है कि अपना विमान लैंड कराने के लिए मुशर्रफ ने खुद एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से बात की। विमान लैंड करने के मुशर्रफ के अनुरोध को शुरू में एयर ट्रैफिक कंट्रोल के अधिकारियों ने मना कर दिया लेकिन उन्होंने पाया कि सेना ने कंट्रोल टावर को घेर लिया है, ऐसे में उनके पास विमान को उतरने देने की इजाजत देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसके बाद मुशर्रफ का विमान शाम सात बजे से पहले कराची एयरपोर्ट पर लैंड कर गया। बाद में जनरल मुशर्रफ ने बताया कि विमान में केवल सात मिनट का ईंधन बच गया था।  

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