रूसी आक्रमण से यूक्रेन में मानवीय संकट, अमेरिका समेत 6 देशों ने बुलाई यूएनएससी की आपात बैठक

यूक्रेन पर रूसी हमले का असर साफ तौर देखा और महसूस किया जा सकता है। अमेरिका समेत 6 देशों ने यूक्रेन में मानवीय हालात पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई है।

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रूसी आक्रमण से यूक्रेन में मानवीय संकट, अमेरिका समेत 6 देशों ने बुलाई यूएनएससी की आपात बैठक 
मुख्य बातें
  • रूसी आक्रमण से यूक्रेने में मानवीय संकट गहराया
  • यूक्रेन में लोगों के सामने खाने पीने का गंभीर संकट
  • अलग अलग देशों में लाखों की संख्या में यूक्रेनी नागरिक बने शरणार्थी

यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई का आज 22वां दिन है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि रूसी आक्रमण का कड़ा प्रतिवाद कर रहे हैं और पुतिन की मंशा को कामयाब नहीं होने देंगे। इन सबके बीच अमेरिका समेत 6 देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई है जिसमें मानवीय हालात को लेकर चर्चा होगी। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों का कहना है कि जिस तरह से रूस की तरफ से यूक्रेन की संप्रभुता को नष्ट करने की कोशिश की जी रही है उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इन सबके बीच अमेरिका ने जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को वार क्रिमिनल बताया तो रूस की तरफ से कड़ी आपत्ति दर्ज की गई। 

रूस के गंभीर पाखंड का राजफाश करे दुनिया
यूक्रेन के सर्गेई किस्लिट्स्या ने ट्वीट कर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से गंभीर पाखंड का समर्थन करने के लिए रूसी अपील - एक सीरियल किलर द्वारा मानवीय मसौदा प्रस्ताव अपमानजनक है। यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा मारे गए बच्चों और वयस्कों के खून में गोता लगाने से पहले संयुक्त राष्ट्र के सदस्य दो बार सोचना पसंद कर सकते हैं।नेड प्राइस, स्पोक्स, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेटयूएस ने यूक्रेन में सैन्य अभियानों को तुरंत निलंबित करने के रूसी संघ को आईसीजे के आदेश का स्वागत किया। हम रूसी सरकार से कोर्ट के आदेश का सम्मान करने और अस्थायी उपायों का पालन करने का आग्रह करते हैं। हम यूक्रेन के साथ खड़े हैं।

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यूक्रेन में शांति स्थापित होना जरूरी
पोप फ्रांसिस ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख के साथ एक वीडियो कॉल के दौरान धार्मिक उपदेशकों द्वारा राजनीति नहीं बल्कि शांति की सीख देने की जरूरत पर बल दिया।यह यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दोनों ईसाई नेताओं के बीच पहला ज्ञात संवाद है।वेटिकन ने कहा कि फ्रांसिस ने ‘न्यायोचित युद्ध’ की अवधारणा को खारिज कर दिया और पादरियों को शांति का रास्ता खोजने की आवश्यकता पर बल दिया।वेटिकन के एक बयान में कहा गया है कि दोनों लोगों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि चर्च को ‘‘राजनीति की भाषा नहीं, बल्कि यीशु की भाषा का उपयोग करना चाहिए’’ और उन्होंने संघर्ष विराम तक पहुंचने के लिए वार्ता के महत्व पर बल दिया।वेटिकन ने फ्रांसिस के हवाले से कहा, ‘‘जो लोग युद्ध की कीमत चुकाते हैं वे आम लोग हैं, रूसी सैनिक हैं और ऐसे लोग हैं जिनपर बमबारी की जाती हैं और वे मारे जाते हैं।’’रूसी चर्च ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने वार्ता प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया और जल्द से जल्द शांति का रास्ता निकलने की उम्मीद जताई।

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