इमरान खान की जाएगी कुर्सी ! बदहाल पाकिस्तान बनेगा वजह, 150 रुपये लीटर बिक रहा है पेट्रोल

Pakistan Prime Minister Imran Khan: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं। 28 मार्च को अविश्ववास प्रस्ताव से उनका राजनीतिक भविष्य तय होगा।

PAKISTAN ECONOMIC CRISIS and Imran Khan
पाकिस्तान में इमरान सरकार पर संकट गहराया  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • महंगाई, बदहाल इकोनॉमी को देखते हुए पाकिस्तान में इमरान खान का राजनीतिक विरोध बढ़ गया है।
  • इमरान खान की पार्टी के भी कई नेता उनके खिलाफ हो गए हैं और पाकिस्तान की सेना से भी अब उन्हें सपोर्ट नहीं मिल रहा है।
  • पाकिस्तान द्वारा लिया गया उधार और देनदारी पहली बार 50 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आंकड़े को पार कर गई है।

Imran Khan in Crisis: अगस्त 2018 में सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं। उनके साढ़े तीन साल के शासन में पहली बार ऐसा हो रहा है जब उनकी कुर्सी जाने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ गई है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि विपक्षी दलों के साथ उन्हें अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (PTI)में भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। और सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी सबसे बड़ी सहारा पाकिस्तानी सेना भी, उनसे दूरी बना रही है। ऐसे में 28 मार्च का दिन इमरान खान के लिए बेहद अहम होने वाला है। क्योंकि ऐसी संभावना है कि उस दिन पाकिस्तान  की नेशनल एसेंबली में इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो सकता है। और मौजदा समीकरणों में उनके लिए अपनी सरकार बचाना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है।

बागी और विपक्ष मिलकर गिरा सकते हैं सरकार

असल में पाकिस्तान की 342 सीटों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। लेकिन अभी इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ को अपने दम पर बहुमत प्राप्त नहीं है। पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के पास कुल 155 सीटें हैं। जबकि सहयोगी दलों के जरिए 24 सीटों का समर्थन उसे प्राप्त है। इमरान की सबसे बड़ी समस्या यहा है कि उनकी पार्टी के ही दो दर्जन के करीब सदस्य अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने को तैयार बैठे हैं। 

जबकि विपक्षी दल जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और पीपीपी शामिल हैं। उनके पास करीब 162 सदस्यों का समर्थन है। ऐसे में अगर इमरान  खान बागी सदस्यों को अपने पाले में नही ला सके तो उनकी सरकार का गिरना तय है।

सेना से भी नहीं मिला साथ

इमरान खान को सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान की सेना से मिला है। न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जनरल कमर जावेद बाजवा के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान से इस्तीफा देने के लिए कहा है।

पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इमरान खान को बाहर करने का निर्णय जनरल बाजवा और तीन अन्य वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरलों ने एक बैठक में लिया था। यानी अब सेना भी इमरान खान को अभय दान देने के पक्ष में नहीं है।

क्यों इमरान सरकार पर है संकट

असल में पाकिस्तान के विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए यह आरोप लगाया है कि पाकिस्तान के आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई की वजह इमरान खान सरकार है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने पीएमएल के  100 नेशनल एसेंबली सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर के बाद कहा कि हमने पाकिस्तान के लोगों के लिए यह फैसला किया है। इसी तरह पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने कहा कि सरकार के खराब प्रदर्शन से सत्ताधारी दल के नेताओं सहित कई लोग परेशान हैं। 

150 रुपये के करीब पेट्रोल

इमरान खान सरकार पर विपक्ष जो महंगाई थोपने का आरोप लगा रहा है। वह पेट्रोल की कीमतों के रूप में सही दिखता है। 16 मार्च को पाकिस्तान में  प्रति लीटर पेट्रोल की कीमतें 149.86 पाकिस्तानी रुपये थी। इसी तरह डीजल की कीमतें 144 पाकिस्तानी रुपये थी। वहीं फरवरी में उपभोक्ता महंगाई दर 12.2 फीसदी थी। 

इसी तरह फरवरी 2022 में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 2 अरब डॉलर से ज्यादा रहा है। हालांकि इस बीच इमरान खान के लिए अच्छी बात यह है कि जनवरी के मुकाबले चालू खाता घाटे में 0.5 अरब डॉलर की कमी आई है। जनवरी में यह 2.56 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।

वहीं पाकिस्तान द्वारा लिया गया उधार और देनदारी पहली बार 50 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आंकड़े को पार कर गई है। सितंबर 2021 में यह देनदारी 50.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये थी। जो कि अभी 51 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के करीब है। पाकिस्तान के कर्ज में करीब 20 लाख करोड़ पाकिस्तान रूपये की बढ़ोतरी इमरान खान सरकार के दौर में हुई है। इन आंकड़ों से साफ है कि पाकिस्तान पूरे तरह दूसरे देशों की उधारी पर टिका हुआ है।

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