नई दिल्ली। चीन बौखलाहट में है तो उसके पीछे वजह भी है। लद्दाख में जिस तरह से चीन ने चालबाजी की उसके बाद भारत सरकार का रुख कड़ा होता जा रहा है और उसका नतीजा 59 चीनी ऐप्स को बंद करने में दिखाई दिया। भारत सरकार के फैसले पर भारत स्थित दूतावास के प्रवक्ता ने नाराजगी जाहिर करते हुए विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन तक करार दिया। अब चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स भी चीख रहा है और यह बताने में गुरेज नहीं कर रहा है अंजाम डोकलाम से गंभीर होगे।
ग्लोबल टाइम्स के बिगड़े बोल
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत के इस कदम से चीनी निवेशकों के विश्वास पर असर पड़ा है। भारत पहले से ही कोरोना वायरस से जूझ रहा है और अब इस तरह का कदम उसे और नुकसान पहुंचाएगा। भारत सरकार अगर राष्ट्रवाद के एजेंडे पर आगे बढ़ती रही तो उसे डोकलाम से भी ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही नहीं अखबार की तरफ से सलाह है कि उम्मीद है कि भारत की मौजूदा सरकार जमीनी हकीकत को समझेगी और अपने फैसले पर विचार करेगी और जो मौजूदा संकट है उसे शोलों में नहीं बदलने देगी।
चीनी कंपनियों को होगा नुकसान लेकिन
ग्लोबल टाइम्स ने माना है कि जिस तरह से भारत ने चीनी ऐप्स को बैन किया है उसकी वजह से चीनी कंपनियों को नुकसान होगा। लेकिन भारत को जो नुकसान होगा उसे वो झेल पाने में सक्षम नहीं है। भारत इस समय आर्थिक तौर पर मजबूत चीन और उसकी अर्थव्यवस्था को चुनौती नहीं दे सकता है।अखबार का दावा है कि लद्दाख में हुई घटना के बाद भी चीन की सरकार भारत से शांति के साथ विवादित मुद्दों को सुलटाने की कोशिश कर रही है। लेकिन मोदी सरकार के सामने घरेलू दबाव है और उसके साथ ही इस समय भारत में राष्ट्रवाद की भावना प्रबल हो चुकी है।
सीमा तनाव के बाद बदले हालात
ग्लोबल टाइम्स कहता है कि सिर्फ एक साल पहले की बात करें तो चीनी निवेशकों के लिए भारत सबसे अच्छा बाजार था। उसे 'अगला वन बिलियन मार्केट' भी कहा जाने लगा। चीन के मोबाइल इंटरनेट बाजार के लिए अहम माना जा रहा था। 2017 से 2020 यानि की तीन साल में चीनी निवेश 10 बिलियन डॉलर पहुंच गया था। लेकिन कोरोना वायरस और फिर सीमा पर तनाव के बाद संबंध बदलने लगे हैं।