नई दिल्ली : इंडोनेशिया और थाईलैंड ने अपने यहां कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए अपने नागरिकों को चीन की कोरोना वैक्सीन सिनोवैक एवं सिनोफॉम की दूसरी डोज देने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। इन दोनों देशों का कहना है कि वे अपने नागरिकों को दूसरी खुराक बूस्टर डोज देंगे। यह बूस्टर डोज अन्य कोरोना टीके की होगी। चीन की वैक्सीन पर अविश्वास जताने वाले दुनिया के ये पहले देश नहीं है। तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात पहले ही चीनी वैक्सीन की जगह अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। इसे चीन की 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' को झटके के रूप में भी देखा जा रहा है। चीन ने करीब 30 से ज्यादा देशों को अपनी वैक्सीन का निर्यात किया है। पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में उसने अपनी वैक्सीन उपहार के रूप में भी दी है।
इंडोनेशिया में तेजी से बड़ रहे संक्रमण के मामले
पिछले कुछ दिनों से इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से सामने आने लगे हैं। 27 करोड़ की जनसंख्या वाला यह देश एशिया में कोरोना संक्रमण के एक नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। गुरुवार को इस देश में कोरोना संक्रमण के करीब 50 हजार मामले आए। संक्रमण में आई इस तेजी के बाद अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन और दवाओं की कमी होने लगी है। लोग दम तोड़ रहे हैं। इंडोनेशिया में हर रोज संक्रमण से 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण अगर इसी तरह से बढ़ता रहा तो देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी।
संक्रमण के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा थाईलैंड
थाईलैंड में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट अपना प्रकोप दिखा रहा है। यह देश कोरोना संक्रमण के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। गत अप्रैल से यहां 4 लाख 20 हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ चुके है और 3,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को यहां कोरोना संक्रमण के 13,655 नए केस मिले जबकि 87 लोगों की जान गई। यहां अब तक कुल जनसंख्या के करीब पांच प्रतिशत लोगों को कोरोना की दोनों खुराक दी गई है। देश में कोरोना वैक्सीन की कमी सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है। थाईलैंड में संक्रमण में आई तेजी से अस्पतालों में बेड्स की कमी हो गई है। सरकार ने बेड्स की कमी को दूर करने के लिए फील्ड अस्पतालों का निर्माण किया है लेकिन बेड्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।
दक्षिण पूर्व एशिया के ज्यादातर देश चीनी वैक्सीन पर निर्भर
दक्षिण पूर्व एशिया के ज्यादातर देश चीन की कोरोना वैक्सीन पर निर्भर हैं। इसकी एक बड़ी वजह पश्चिमी देशों से टीके की आपूर्ति में देरी और चीनी वैक्सीन की लागत कम होना है। इन देशों में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण फैल रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि सिनोवैक की दोनों डोज ले चुके चिकित्सा कर्मियों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। कुछ चिकित्साकर्मियों की मौत भी हुई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया ने अपने लाखों स्वास्थ्यकर्मियों को सिनोवैक की वैक्सीन लगाई है और इसमें से हजारों स्वास्थ्यकर्मी फिर से पॉजिटिव मिले हैं। स्वास्थ्यकर्मियों के पॉजिटिव पाए जाने पर थाईलैंड ने अपनी वैक्सीन पॉलिसी में बदलाव किया है। अब सिनोवैक की दो डोज के बदले वहां के लोगों को एक डोज सिनोवैक की और दूसरी डोज एस्ट्राजेनेका की दी जाएगी।