नई दिल्ली। हाल ही में इस तरह की खबरें आईं कि ईरान ने भारत को चाबहार और जाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया है। लेकिन तस्वीर कुछ और है। भारत के राजदूत गद्दाम धर्मेंद्र और ईरान के डिप्टी मिनिस्टर रोड और ईरान रेलवे के हेड सईद रासौली से बातचीत हुई। ईरान के मंत्री ने बताया कि हाल ही में चाबहार और जाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट के बारे में जो जानकारी सामने आई है उसमें कुछ लोगों का निहित स्वार्थ है। इसमें तनिक भी सच्चाई नहीं है कि ईरान ने इस प्रोजेक्ट से भारत को बाहर कर दिया है।
चाबहार-जाहेदान प्रोजेक्ट का ठेका सरकारी क्षेत्र की इरकॉन व राइट्स को मिली थी। लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से इरकान के लिए काम करना मुश्किल था। यही वजह है कि ईरान सरकार के सूत्रों की ओर से संकेत में अमेरिकी दबाव की ओर इशारा किया गया है। अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से भारत ने ईरान से तेल खरीदना एकदम बंद कर रखा है जबकि वर्ष 2018-19 तक वह भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था।
यह रेल प्रोजेक्ट चाबहार पोर्ट से जाहेदान के बीच की है। भारत की तैयारी इसे जाहेदान से आगे तुर्केमिनिस्तान की सीमा साराख तक ले जाने की है। अमेरिका के दबाव में जब भारत ने ईरान से तेल खरीदना कम किया तो उसके बाद से दोनो देशों के रिश्तों में तनाव आया। कुछ दिन पहले ही ऐसी खबर आई थी कि ईरान ने इसका जवाब चाबहार से जाहेदान तक की महत्वपूर्ण रेल परियोजना से भारत को बाहर कर दिया है। इसके साथ ही साथ यह बताने की कोशिश की गई कि इस प्रोजेक्ट की वजह से भारत खुद को कितना असहज महसूस कर रहा था। अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशियाई देशों तक कारोबार करने की भारत की रणनीति को होने वाला नुकसान बताया गया था।