आतंकियों के लिए मौका बना कोरोना वायरस? फायदा उठाने की जुगत में इस्‍लामिक स्‍टेट और अलकायदा 

दुनिया
भाषा
Updated Apr 03, 2020 | 01:17 IST

इस्‍लामिक स्‍टेट और अलकायदा जैसे आतंकी संगठन कोरोना वारयस के कारण दुनियाभर में पैदा हुए हालात का इस्‍तेमाल लोगों में कट्टरता बढ़ाने और अपने लिए समर्थन बढ़ाने के लिए कर रहे हैं।

आतंकियों के लिए मौका बना कोरोना वायरस? फायदा उठाने की जुगत में इस्‍लामिक स्‍टेट और अलकायदा 
आतंकियों के लिए मौका बना कोरोना वायरस? फायदा उठाने की जुगत में इस्‍लामिक स्‍टेट और अलकायदा   |  तस्वीर साभार: AP, File Image

जोहानिसबर्ग : आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट और अलकायदा दोनों कोरोना वायरस की महामारी को खतरे के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनके कुछ लड़ाके इसे अधिक समर्थक हासिल करने और पहले से भी जोरदार हमला करने के लिए अवसर के तौर पर देख रहे हैं। इस्लामी चरमपंथी समूहों की ओर से प्रसारित संदेश से साफ होता है कि वायरस को लेकर चिंतित होने के साथ वे गीदड़भभकी भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह गैर मुस्लिमों के लिए सजा है, जबकि समर्थकों से संक्रमण के प्रति सतर्क रहने को भी कह रहे हैं।

'हमलों में कोई दया नहीं दिखाएं'

अलकायदा की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया कि गैर मुस्लिम पृथक रहने के दौरान समय का इस्तेमाल इस्लाम का अध्ययन करने में व्यतीत करें। हालांकि, मध्य मार्च में इस्लामिक स्टेट ने अपने न्यूजलेटर अल नाबा के जरिये समर्थकों से आह्वान किया था कि वे संकट के समय हमलों में कोई दया नहीं दिखाएं। अंतरराष्ट्रीय संकट समूह ने मंगलवार को अपनी टिप्पणी में चेतावनी दी कि महामारी ने वैश्विक एकजुटता पर खतरा पैदा कर दिया जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की कुंजी है।

अफ्रीका में बढ़ा खतरा

समूह ने कहा, 'यह लगभग तय है कि कोरोना वायरस से घरेलू सुरक्षा और इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई पंगु हो गई है जिससे जिहादी बेहतर तरीके से बड़े हमले की तैयारी कर सकते हैं।' विश्लेषकों का कहना है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि किस हमले को अंजाम देने के लिये आतंकवादियों ने कोरोना वायरस का फायदा उठाया। मार्च के आखिर में इस्लामिक चरमपंथियों ने सबसे घातक हमला अफ्रीकी देश चाड की सेना पर किया जो अफ्रीका में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

मिस्र में बढ़े हमले

नाइजीरिया और नाइजर सीमा पर हुए हमले में 92 सैनिकों की मौत हो गई थी। मिस्र में दो सैन्य अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि मार्च महीने में अशांत सिनाई प्रायद्वीप में इस्लामिक स्टेट के हमले बढ़े हैं लेकिन सुरक्षा बलों ने कम से कम तीन हमलों को नाकाम किया है। वहीं कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने के बाद सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के हमलों में वृद्धि देखने को नहीं मिली है। इराक से योजनाबद्ध वापसी की योजना के बीच अमेरिका नीत गठबंधन सेना ने इस महामारी की वजह से प्रशिक्षण गतिविधियां रोक दी है।

विदेशी सैनिकों की वापसी

संकेत है कि कोरोना वायरस के चलते अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य सेनाएं वापसी कर रही है जिससे आतंकवादियों को फलने-फूलने के मौका मिलने की आशंका बढ़ गई है। अफ्रीका में चाड झील के इलाके साहेल और सोमालिया पर आतंकवाद का गढ़ बनने का खतरा है जहां से अमेरिका ने चीन और रूस के खतरों का मुकाबला करने के लिए अपने सैनिकों में कटौती की है। दुनियाभर में आतंकवादी घटनाओं पर नजर रखने वाले संगठन आर्म्ड कॉनफ्लिक्ट ऐंड इवेंट डाटा प्रोजेक्ट के कार्यकारी निदेशक क्लियोनाड रेलियेग ने कहा, 'कोई भी देश जो अफ्रीका से सैनिकों की वापसी करना चाहता है वह इसे मौके के तौर पर लेगा, जो अविश्वसनीय तरीके से बहुत बुरा होगा।'

सैन्य गतिविधियां स्थगित

केन्या में आतंकवाद निरोधी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण दे रही ब्रिटिश सेना ने इस हफ्ते घोषणा की कि कोरोना वायरस के चलते उसके सभी जवान स्वदेश लौट रहे हैं। देश से बाहर फ्रांस की सबसे बड़ी सैन्य टुकड़ी अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में तैनात है। वहां पर करीब 5,200 फ्रांसीसी सैनिक तैनात हैं। फ्रांस के रक्षामंत्री ने कहा कि जवान ठिकानों में ही सुरक्षित रहें। अफ्रीकी सैन्य टुकड़ियां जिनकी संख्या कम है और पहले ही उनपर हमले हो रहे हैं कोरोना वायरस के चलते रक्षात्मक उपाय कर सकती हैं। नाइजीरिया में बोको हराम के खिलाफ संघर्ष कर रही सेना पहले ही अधिकतर सैन्य गतिविधियां स्थगित कर चुकी हैं।

अगली खबर