बाइडेन रणनीति: चारों तरफ से घिर रहा है चीन,क्या करेगा ड्रैगन

दुनिया
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 20, 2022 | 19:47 IST

China Vs America: खबर है कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी अगले महीने ताइवान की यात्रा कर सकती है। और यह खबर आते ही चीन भड़क गया है। पेलोसी अगर पेलोसी अगर यात्रा करती है तो  बीते 25 वर्षों में वह पहली शीर्ष अमेरिकी सांसद होंगी।

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चीन के खिलाफ आक्रामक बाइडेन  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने चीन के खिलाफ घेराबंदी बढ़ गई है।
  • चीन कहता रहता है कि अमेरिका ने चीन को 'काबू' में रखने के लिए क्वॉड को तैयार किया है।
  • IPEF को चीन से दूर एक अलग आर्थिक धुरी के रूप में भी देखा जा रहा है।

China Vs America:अमेरिका और चीन के बीच एक और विवाद दस्तक दे रहा है। मामला ताइवान से जुड़ा हुआ है। जो कि हमेशा से अमेरिका और चीन के बीच तना-तनी की वजह रहा है। खबर है कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी अगले महीने ताइवान की यात्रा कर सकती है। और यह खबर आते ही चीन भड़क गया है। और उसके विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को दो टूक शब्दों में कहा  है कि अगर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी कथित तौर पर ताइवान यात्रा की अपनी योजना पर आगे बढ़ती हैं, तो चीन सख्त एवं कठोर कार्रवाई करेगा।पेलोसी का अप्रैल में ही ताइवान की यात्रा का कार्यक्रम था, लेकिन तब कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के कारण उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी थी।

क्यों खास है पेलोसी की यात्रा

पेलोसी अगर अगस्त में ताइवान की यात्रा करती है तो  बीते 25 वर्षों में अमेरिका के करीबी सहयोगी ताइवान की यात्रा करने वाली वह पहली शीर्ष अमेरिकी सांसद होंगी। उनसे पहले 1997 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के तत्कालीन अध्यक्ष न्यूट गिंगरिच ताइवान यात्रा पर गए थे। इसीलिए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजांग ने प्रेस वार्ता में कहा है कि पेलोसी की यात्रा चीन की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से कमजोर करेगी और चीन तथा अमेरिका के रिश्तों की नींव पर भी इसका गंभीर असर पड़ेगा। साथ ही, इससे ताइवान के स्वतंत्र बलों को गलत संकेत मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका गलत रास्ते पर चलना जारी रहता है तो चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए सख्त एवं कठोर कार्रवाई करेगा। वहीं इस मामले पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन-पियरे ने पेलोसी की संभावित यात्रा पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। जीन-पियरे ने कहा कि ताइवान को अमेरिका का पूरा समर्थन है, साथ ही उन्होंने एक चीन नीति के प्रति भी प्रतिबद्धता भी जताई।

चीन ताइवान को जहां अपना हिस्सा मानता है, वहीं ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। ताइवान का अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है। और उसे अमेरिका का समर्थन है।

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बाइडेन के आने के बाद चीन के खिलाफ घेराबंदी बढ़ी

असल में जब से जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाला है। उसके बाद से वह लगातार चीन को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। और इसके लिए इस बार उन्होंने एशिया को अपना केंद्र बनाया है। इसी कड़ी में बाइडेन क्वॉड (Quad),इंडो पेसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (Indo Pacific Economic Framework),I2U2 ने खास पहल की है। और अब पेलोसी की ताइवान यात्रा की प्लानिंग से साफ है कि चीन को बाइडेन चौतरफा घेर रहे हैं।

Quad से घिर रहा है चीन-वैसे तो क्वॉड का गठन साल 2007 में हुआ था। लेकिन वैश्विक स्तर पर बदलती परिस्थियों ने इसका महत्व और बढ़ा दिया है। एक तरफ चीन दक्षिणी चीन सागर में अपनी विस्तारवादी नीति अपनाए हुए हैं। दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक परिस्थितियां बदल दी हैं। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान द्वारा बनाए गए क्वॉड देश आर्थिक के साश-साथ सामरिक रिश्ते मजबूत करने में लगे हुए हैं। इसे देखते हुए चीन कहता रहता है कि अमेरिका ने चीन को 'काबू' में रखने के लिए क्वॉड को तैयार किया है।

I2U2-भारत, इसराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका ने मिलकर यह संगठन तैयार किया है। जब अक्टूबर 2021 में पहली बार भारत, इजरायल, यूएस और यूएई के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, तब समुद्री सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। 

इंडो पेसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क-यह जो बाइडेन की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की उस फैसले को बदलना चाहते हैं । जब ट्रंप ने ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP)से किनारा कर लिया था। अब बाइडेन IPEF के जरिए एक बार फिर से इस क्षेत्र में अमेरिका अपनी  हिस्सेदारी और विश्वसनीयता बढ़ाना चाहता हैं। IPEF को चीन से दूर एक अलग आर्थिक धुरी के रूप में भी देखा जा रहा है। असल में एशिया में  दो प्रमुख कारोबारी समूह सीपीटीपीपी (CPTPP) और आरसीईपी (RECP) हैं। समूह में अमेरिका ,भारत, ऑस्ट्रेलिया,जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं लेकिन चीन को दूर रखा गया है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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