नई दिल्ली: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का 1.35 करोड़ लाख रुपये की लागत वाला स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट (मेगा रॉकेट) इसी साल नवंबर में लॉन्च होने वाला है। लॉन्च से पहले इस रॉकेट के तमाम स्टेज का परीक्षण हो रहा है और इसके लिए वैज्ञानिक दिन रात मेहनत पर जुटे हुए हैं। नासा के वैज्ञानिक लगातार इस मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं और इस रॉकेट के चारों आरएस- 25 इंजन को 8- 8 मिनट के लिए चालू कर रही है।
स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) के मुख्य चरण में, जो रॉकेट नासा अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा, मंगल और अन्य दूर के गंतव्यों तक ले जाने के लिए विकसित कर रहा है उसका गुरुवार (18 मार्च) को एक महत्वपूर्ण प्रीफ्लाइट परीक्षण किया गया। इसके बाद चारों आरएस -25 इंजनों से धुआं और लपटें निकलीं, जो एसएलएस कोर बूस्टर को ऊर्जा प्रदान करती हैं।
इस दौरान भारी गर्जना भी सुनाई दी। दरअसल नासा इंसान के बगैर चंद्रमा पर जाने के अपने मिशन पर जुटा हुआ है और इसलिए तमाम तरह के परीक्षण किए जा रहे हैं।
"हॉट फायर" परीक्षण सिर्फ 500 सेकंड के लिए किया गया था क्योंकि नासा ने इसके लिए यह अवधि तय की थी। यह परीक्षण 16 जनवरी को हुए एक समान परीक्षण का एक पुनरावृत्ति था।
लेकिन इससे पहले जो परीक्षण हुआ था उसमें उम्मीद से पहले ही इंजन टेस्ट समाप्त हो गया था। भविष्य में इस मेगा रॉकेट के जरिए सिंगल ट्रिप में अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा पर पहुंचाया जा सकेगा। यह दुनिया का सबसे ताकतवर राॅकेट सिस्टम है।