मां-बाप के साथ नहीं रहने वाले पति की होती है ज्यादा पिटाई, जानें माजरा

Domestic Violence And NFHS-5 : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार देश में करीब 4 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने कभी न कभी अपने पति के साथ घरेलू हिंसा की है।

domestic violence against husband
पुरूष के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले, फोटो: आईस्टॉक 
मुख्य बातें
  • संयुक्त परिवार में रहने वाले पति कम होते हैं घरेलू हिंसा का शिकार
  • पति से ज्यादा पढ़ी हुई पत्नी के मामले में हिंसा का ज्यादा प्रतिशत
  • कम आय वर्ग में पति ज्यादा घरेलू हिंसा के शिकार

Domestic Violence And NFHS-5 :आम तौर पर घरेलू हिंसा का शिकार महिलाएं होती है। लेकिन हाल ही में राजस्थान के अलवर में एक पति का अपने पत्नी से पिटने का वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें पत्नी अपने पति को क्रिकेट बैट से पीट रही है। पति एक स्कूल में प्रिंसिपल हैं और उन्होंने 9 साल पहले लव मैरिज शादी की थी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद यह बहस छिड़ गई है कि भारत में क्या  पुरूष भी घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं। तो इसका जवाब नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) देता है। उसके अनुसार देश में करीब 4 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने कभी न कभी अपने पति के साथ घरेलू हिंसा की है। उन्होंने ऐसा तब किया है जब उनके पति ने उनके साथ कोई घरेलू हिंसा नहीं की थी। यानी विरोध में उन्होंने ऐसा नहीं किया है। 

न्यूकिलयर फैमिली में ज्यादा मामले

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (National Family Health Survey-5) 2019-2021 की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे पति-पत्नी जो न्यूक्लियर फैमिली (केवल पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे) में रहते हैं। उनमें सबसे ज्यादा महिलाएं अपने पति के साथ घरेलू हिंसा करती है। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में न्यूक्लियर फैमिली में रहने वाली 3.9 फीसदी महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति के साथ  हिंसा की है। जबकि संयुक्त परिवार या गैर न्यूक्लियर फैमिली में 3.3 फीसदी महिलाओं ने अपने पति के साथ हिंसा की है। सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 3 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने पिछले 12 महीने में अपने पति के साथ हिंसा की है। 

Domestic Violence

पढ़ाई की कितनी भूमिका

सर्वे के अनुसार पति के खिलाफ शारीरिक हिंसा या घरेलू हिंसा के मामले में शिक्षा के स्तर की भी अहम भूमिका रही है। मसलन ऐसे पति -पत्नी जिसमें पति ने ज्यादा पढ़ाई की है, उनके साथ हिंसा करने वाली पत्नियों की संख्या 3.1 फीसदी है। लेकिन जहां पर पति से ज्यादा महिलाएं पढ़ी हुई हैं, वहां हिंसा करने वाली पत्नियों की संख्या 3.7 फीसदी है। जबकि ऐसे मामले जिसमें पति और पत्नी दोनों नहीं पढ़े हुए हैं, वहां पर 5.6 फीसदी पत्नियां हैं, जिन्होंने अपनी पति के साथ हिंसा की है। 

इसी तरह पत्नियों द्वारा पिटाई के मामलों में आर्थिक आधार की अहम भूमिका देखती है। सर्वे के अनुसार  सबसे निचले आय वर्ग में 4.8 फीसदी, मध्यम वर्ग में 3.8 फीसदी और उच्च आयवर्ग में 2.1 फीसदी महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति के साथ हिंसा की है।
 

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