आखिर क्यों नेपाल भारत के खिलाफ उठा रहा है बार-बार कदम, संबंधों में पलीता लगाने की एक और कोशिश?

दुनिया
रवि वैश्य
Updated Sep 21, 2020 | 20:36 IST

India-Nepal Border Dispute:नया नक्शा जारी करके कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना इलाका बताने वाले नेपाल ने यहां जनगणना की तैयारी भी शुरू कर दी है ऐसे में भारत से उसके संबंधों में और खटास आएगी।

Nepal preparing to conduct census in Kalapani Lipulekh and Limpiyadhura
भारत और नेपाल के बीच ये तीन इलाके ही सीमा विवाद की जड़ हैं ऐसे में नेपाल का ये कदम उकसावे वाला दिख रहा है 
मुख्य बातें
  • नेपाल-भारत संबधों को लेकर बीते कुछ समय से कुछ नए ताजे विवाद सामने आ रहे हैं
  • कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा इलाकों पर नेपाल का अपना दावा जता रहा है
  • कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा इलाकों में नेपाल अब जनगणना करवाने की तैयारी में है

भारत के पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) से भारत के संबधों को लेकर बीते कुछ महीने से काफी कुछ नए ताजे विवाद सामने आ रहे हैं जिसकी वजह से कभी भारत के बेहद करीबी रहे नेपाल के साथ संबंधों में बेहद ज्यादा तल्खी आ गई, इसके पीछे की वजह  कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा (Kalapani,Lipulekh, Limpiyadhura) इलाकों पर नेपाल का अपना दावा जताना है जिसे लेकर भारत का विरोध है, जिसे दरकिनार कर नेपाल नए-नए कदम उठा रहा है।

अब अपने ताजा कदम में नेपाल इन इलाकों में जनगणना (Census) करवाने जा रहा है बताया जा रहा है कि नेपाल में अगले साल 28 मई से 12वीं जनगणना शुरू होने वाली हैं और इस बार इन इन विवादित इलाकों को भी जनगणना में शामिल किया जाएगा, जनसंख्या में शामिल नेशनल प्लानिंग कमीशन इन क्षेत्रों में जनगणना कराना चाहता है। नेपाल के स्थानीय अखबार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक इसके लिए ओली सरकार योजना भी तैयार करवा रही है, इन विवादित इलाकों में नेपाल मकानों की भी गिनती करेगा, भारत और नेपाल के बीच ये तीन इलाके ही सीमा विवाद की जड़ हैं ऐसे में नेपाल का ये कदम उकसावे वाला दिख रहा है।


क्या है आखिर भारत-नेपाल के बीच विवाद की जड़?

भारत के उत्तराखंड और नेपाल के बीच दोनों देशों की सीमा पर विवादित इलाका है, जिसे कालापानी कहते हैं भारतीय श्रद्धालु इसी घाटी से हो कर कैलाश-मानसरोवर की तीर्थ यात्रा पर जाते हैं, इस इलाके में  लिपुलेख दर्रा है और वहां से उत्तर-पश्चिम की तरफ कुछ दूर एक और दर्रा है जिसे लिम्पियाधुरा दर्रा कहते हैं। इस मुद्दे पर काफी समय से दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है।

20 मई को मामला अचानक गंभीर हो गया जब नेपाल ने अपना एक नया नक्शा जारी कर दिया जिसमें पहली बार विवादित इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया और भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल इस नक्शे पर अड़ा रहा।

डर भी है कि नेपाल सरकार के इस कदम से भारत नाराज हो सकता है

नेपाल के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स को डर है कि नेपाल सरकार के इस कदम से भारत नाराज हो सकता है क्योंकि तीनों इलाकों में जनगणना के लिए भारत मंजूरी नहीं देगा, और उसकी मंजूरी के बिना जनगणना संभव नहीं होगी, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद नवंबर में शुरू हुआ था और 20 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी किया जिसे भारत ने नामंजूर करते हुए कड़ा ऐतराज दर्ज कराया था। गौरतलब है कि नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार भी इस बात को जानती है फिर भी वो ऐसी बात कर रही है, कहा जाता है कि नेपाल चीन के प्रभाव में आकर यह भारत विरोधी कदम उठा रहा है।

भारत ने धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में जनगणना के लिए 40 हजार कर्मचारी तैनात किए गए हैं, इस दौरान 9 हजार सुपरवाइजर्स होंगे और ये हर घर जाकर कुछ सवाल पूछेंगे, जो जनगणना का हिस्सा होंगे, वहीं रिपोर्ट के मुताबिक चीन से तनाव के चलते लिपुलेख और कालापानी में भारतीय सेना ने व्यापक तैयारी कर रखी है। गौरतलब है कि अगस्त माह में जारी तनाव के बीच भारत और नेपाल के शीर्ष राजनयिकों ने डिजिटल बैठक कर भारत की मदद से नेपाल में चल रही विकास संबंधी विभिन्न परियोजना की प्रगति की समीक्षा भी की थी। 


 

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