इस्लामाबाद : आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान विदेशी कर्ज के बोझ से दबा है। पाकिस्तान पर इस समय बकाया कुल विदेशी कर्ज 115 अरब डॉलर से अधिक है। इस बीच फ्रांस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक हो रही है। इस बैठक में तय हो जाएगा कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा या उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा या उसे लेकर कोई अन्य फैसला होगा?
एफएटीएफ की इस बैठक पर पाकिस्तान भी करीब से नजर बनाए हुए है। दुनियाभर में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों को होने वाली फंडिंग पर नजर रखने वाली इस वैश्विक संस्थान ने जून, 2018 में अपनी ग्रे लिस्ट में शामिल किया था। तब इसकी वजह पाकिस्तान में उन आतंकी संगठनों को बिना रोक-टोक मिलने वाली फंडिंग बताई गई थी, जिन्हें वैश्विक चरमपंथ फैलाने वाले के लिए दोषी माना जाता है।
इस तरह पाकिस्तान बीते करीब ढाई साल से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है, जिसके कारण उसे मिलने वाले विदेशी निवेश, आयात, निर्यात और IMF तथा ADB जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लेने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर होने के लिए छटपटा रहा है, लेकिन आतंकवाद को पनाह देना उसके लिए मुश्किलों का सबब बन गया है।
निर्वासित पत्रकारों और मनवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जहां पाकिस्तान के बलूचिस्तान और पश्तून बहुल इलाकों में सेना की ज्यादती का मुद्दा उठाया है, वहीं उइगर मुस्लिम समुदाय के लोग चीन के शिनजियांग प्रांत में उनके साथ हो रही ज्यादती पर पाकिस्तान की चुप्पी को लेकर नाराज हैं, जो खुद को मुसलमानों का हिमायती कहता है। इन लोगों ने एफएटीएफ से अपील भी की है कि वह पाकिस्तान को लेकर चीन के दबाव में न आए।
भारत सहित कई अन्य देश भी आतंक का गढ़ बन चुके पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहते हैं। अगर पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा जाता है तो पहले से ही खस्ताहाल पाकिस्तान की आर्थिक कमर और टूटेगी और उसका विदेशों से कर्ज लेना मुश्किल हो जाएगा, जो इसकी अर्थवस्था का आधार है। आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान पहले ही 115 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज के बोझ से दबा है।