Imran Khan Resignation letter: सियासी पिच पर 'क्लीन बोल्ड' हुए इमरान खान, पढ़ें अपने इस्तीफे में क्या लिखा

Imran Khan Resign: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली से भी इस्तीफा दे दिया है। नए प्रधानमंत्री के लिए मतदान से पहले उन्होंने इस्तीफे की घोषणा की। अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से वो सत्ता से बेदखल हो गए हैं।

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इमरान खान  |  तस्वीर साभार: AP

इस्लामाबाद: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के चुनाव से पहले नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह 'चोरों' के साथ असेंबली में नहीं बैठेंगे। इमरान खान के करीबी फवाद चौधरी ने कहा था कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सभी सांसद नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए मतदान से पहले नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने ट्वीट किया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) संसदीय समिति ने नेशनल असेंबली से इस्तीफा देने का फैसला किया है। आज, असेंबली के सभी सदस्य अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं। हम आजादी के लिए लड़ेंगे।

इमरान खान ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर को अपना इस्तीफा  भेजा और उसे स्वीकार करने की मांग की। उन्होंने NA-95 (मियांवाली-I) संसदीय क्षेत्र से नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में अपना इस्तीफा दिया। 

इससे पहले पीटीआई के समर्थकों ने विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के खिलाफ लाहौर के लिबर्टी चौक पर एक रैली निकाली। पीटीआई के समर्थकों की यह रैली रविवार को रात नौ बजे शुरू हुई और सोमवार तड़के तीन बजे तक चली। रैली के दौरान महिलाओं और बच्चों समेत कई समर्थकों ने खान के साथ एकजुटता दिखाई।  इमरान खान ने रविवार सुबह ट्वीट किया था कि पाकिस्तान में शासन परिवर्तन में विदेशी ताकतों के खिलाफ आज स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत करें। हमेशा लोग ही अपनी संप्रभुता तथा लोकतंत्र की रक्षा करते हैं।

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पाकिस्तान में इमरान खान रविवार को विपक्ष की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद प्रधानमंत्री पद से हटा दिए गए थे। 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली (एनए) में 174 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। खान अब पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल किया गया है। उनसे पहले 2006 में शौकत अजीज और 1989 में बेनजीर भुट्टो इस तरह की कार्रवाई से बच गए थे।

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