नई दिल्ली : पाकिस्तान इन दिनों भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। ऊपर से ललगातार आसमान छूती महंगाई ने पाकिस्तान की कमर तोड़ कर रख दी है। महंगाई का आलम ये है कि लोगों की थाली से मूलभूत भोजन रोटी तक दूर हो रही है। कुछ समय पहले ही खबर आई थी कि पाकिस्तान में टमाटर अन्य सब्जियां बेहद महंगी हो गई थी। अब ताजा खबरों के मुताबिक पाकिस्तान में गेहूं व आटे तक की किल्लत हो रही है और अगर मिल भी रही हैं तो उनकी कीमतें आसमान छू रही हैं।
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार इससे निपटने के लिए खासे परेशान दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख बनाने में तो वे वैसे भी समय-समय पर नाकाम साबित होते दिखे हैं लेकिन अपने देश की अंदरुनी समस्याओं से निपटने की भी उनकी सभी नीतियां फेल होती दिख रही है।
महंगाई कम करने के लिए उठाएंगे कड़े कदम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि चाहे कोई भी नतीजा हो, पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) सरकार ऐसे कदम उठाएगी जिससे मूलभूत खाने के सामानों की कीमतें कम हो। इसके लिए जल्द ही मीटिंग की जाएगी जिसपर कड़े फैसले लिए जाएंगे।
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं कम वेतन पाने वाले आम लोगों की समस्याएं समझता हूं। और इसके बाद ही मैंने ये फैसला लिया है कि चाहे जो भी हो अब मैं महंगाई कम करने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने जा रहा हूं। इसके लिए मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग में फैसले लिए जाएंगे।
टूटा पिछले 12 सालों का रिकॉर्ड
इसके साथ ही एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि हमारी एजेंसियां इस बात की जांच में जुटी है कि आटे और चीनी की कीमतों में अचानक से हुए इजाफे की क्या वजहें हैं। उन्होंने ये आश्वासन भी दिया कि इसके लिए जो कोई भी जिम्मेदार होगा उसे इसका दंड दिया जाएगा।
आपको बता दें कि पिछले सप्ताह ही पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने बताया था कि जनवरी में 12.6 पर्सेंट महंगाई दर थी जो अब 14.6 पर्सेंट पहुंच गई है। महंगाई के इन आंकड़ों ने पिछले 12 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
15 दिनों के भीतर कड़े कदम उठाने का निर्देश
इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि खास तौर पर गेहूं, आटे, दालें, चीनी, गुड़, तेल की कीमतें आसमान छू रही है। इनकी बढ़ती कीमतें महंगाई दर में बढ़ोतरी की खास वजहें हैं। उन्होंने अपनी इकोनॉमिक टीम को इन खाद्य सामानों की कीमतें कम करने के लिए 15 दिनों के भीतर कारगर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने मीटिंग में यहां तक कहा था कि अगर एक सरकार अपनी जनता को मूलभूत आवश्यकताओं में राहत नहीं दे सकती है तो उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।