इमरान खान इस समय जबरदस्त सियासी संकट का सामना कर रहे हैं। वो इस बात का दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार के बचने के 80 फीसद चांस है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि अब सिर्फ कुछ वक्त की बात है। इन सबके बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने एक खत का जिक्र करते हुए दावा किया है कि अमेरिका और यूरोप नहीं चाहते हैं कि इमरान खान सरकार सत्ता में बने रहे हैं। अमेरिका को यह नागवार लगा कि आखिप पाकिस्तान के वजीरे आला ने रूस का साथ क्यों दिया। संकट की घड़ी में उन्होंने रूस का दौरा किया। एक तरह पश्चिमी मुल्क नहीं चाहते हैं कि इमरान खान किसी भी सूरत में अपने कार्यकाल को पूरा कर सकें।
पीटीआई का दावा
इमरान खान की पार्टी की पीटीआई का दावा अमेरिका और यूरोप इमरान के खिलाफ
अगर अविश्वास प्रस्ताव सफल
यूक्रेन पर पाकिस्तान का रूस के साथ जाना गलत
इमरान सरकार बची तो पाक भुगतेगा
अविश्वास प्रस्ताव पास तो पाक की गलती माफ
अब्दुल बासित क्या बोले
इस विषय में भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त ने कहा कि कूटनीतिक लिहाज से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन अगर इसे सच मान लिया जाए तो इसे किसी भी सूरत में अच्छा नहीं कहा जा सकता है। कौन सा देश किस देश के साथ कैसे अपने संबंधों को आगे जारी रखेगा वो उस देश का अपना विशेषाधिकार होता है। अगर अमेरिका या यूरोप देश इस तहर की सोच रखते हैं तो उसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। आंतरिक राजनीत का फायदा किसी दूसरे मुल्क को मिले तो राजनीतिक दलों को सोचना चाहिए। बता दें कि इमरान खान पहले भी कहते रहे हैं कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है. यही नहीं उनकी पार्टी ने इमरान खान की हत्या का अंदेशा तक जताया।
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आंकड़ों में पिछड़े इमरान खान
MQM पार्टी ने इमरान सरकार का साथ छोड़ने का आधिकारिक ऐलान कर दिया। इस ऐलान से इमरान के तख्तापलट पर मुहर लग गई है। MQM-P के साथ छोड़ने का मतलब है कि इमरान की हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील ठुक गई है क्योंकि MQM-P के पास 7 सांसद हैं। MQM-P के समर्थन वापस लेने के बाद इमरान सरकार में अब सिर्फ 164 सांसद ही बचे हैं, जबकि विपक्ष के पास 177 सांसदों का समर्थन है। नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 172 का आंकड़ा होना जरूरी है।