अफगानिस्तान को गेहूं भेजने के भारत के प्रस्ताव को पाक ने ठुकराया, बहाना बनाते हुए दी ये दलील

पाकिस्तान ने बाघा सीमा के जरिए भारतीय या अफगान ट्रकों द्वारा 50,000 मैट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान पहुंचाने के भारत के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

Pakistan turned down India's proposal to transport wheat as humanitarian assistance for Afghanistan
अफगानिस्तान को गेहूं भेजने के प्रस्ताव को पाक ने ठुकराया 
मुख्य बातें
  • भारत की अफगानिस्तान को दी जाने वाली मदद पाक को नहीं आ रही है रास
  • भारत द्वारा पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान भेजे जाने वाले गेहूं के प्रस्ताव को पाक ने ठुकराया
  • पाकिस्तान बोला- हमारे ट्रकों के जरिए भेजी जाए मदद

इस्लामाबाद:  अफगानिस्तान के ताजा हालात को देखते हुए भारत ने अपनी तरफ से मानवीय मदद का हाथ आगे बढ़ाया है।  पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को यह शायद पसंद नहीं आया है और उसने भारत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। दरअसल भारत बाघा सीमा के जरिए भारतीय या अफगान ट्रकों के जरिए  50,000 मैट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान भेजना चाह रहा था लेकिन पाकिस्तान ने इस पर भी अजीबोगरीब शर्त थोप दी और इसका खामियाजा अफगान नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।

मदद का था उद्देश्य

पाकिस्तान ने भारत को "मानवीय उद्देश्यों के लिए अपवाद स्वरूप" अपने क्षेत्र से पड़ोसी अफगानिस्तान में गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं पहुंचाने की इजाजत देने के अपने फैसले के बारे में पिछले हफ्ते आधिकारिक रूप से बताया था। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने यहां आरोप लगाया कि नई दिल्ली अफगानिस्तान में गेहूं पहुंचाने के लिए 'अव्यावहारिक'  विकल्पों का सुझाव दे रही है। पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान गेहूं पहुंचाने के लिए भारत की पाकिस्तान के साथ बात भी चल रही है।

पाकिस्तान की चालाकी

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान इस बात पर जोर दे रहा है कि अफगानिस्तान भेजे जाने वाले गेहूं और दवाओं की खेप बाघा सीमा से पाकिस्तानी ट्रकों में रवाना की जाए जबकि भारत अपने ट्रक इस्तेमाल करना चाह रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हम अपनी बात दोहराते हैं कि मानवीय सहयोग के लिए किसी प्रकार का शर्त नहीं होनी चाहिए।

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के मुताबिक, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि पाकिस्तानी तौर-तरीकों को शर्तों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कह कि ये अफगानिस्तान के लिए भारत की मानवीय सहायता को सुविधाजनक बनाने के लिए हैं।

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