चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ बगावत की तैयारी, गलवान पर बड़ा खुलासा

Chinese Veterans can challenge Xi Jinping: चीन में जहां राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग से नाराजगी बढ़ती जा रही है, वहीं इसका भी खुलासा हुआ है कि चीन आखिर गलवान में अपने हताहत सैनिकों की संख्‍या क्‍यों नहीं बता रहा?

चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ बगावत की तैयारी, गलवान पर बड़ा खुलासा
चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ बगावत की तैयारी, गलवान पर बड़ा खुलासा  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • चीन में रिटायर्ड सैनिक राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ मोर्चा खोलेने की तैयारी में हैं
  • पूर्व सैनिकों के प्रति सरकार के रवैये से इनमें जिनपिंग सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है
  • वहीं, गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ खूनी संघर्ष में चीनी सैनिकों के भी हताहत होने को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है

बीजिंग : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच 15 जून को हुए खूनी संघर्ष में जहां भारत के 20 जवान शहीद हुए, वहीं चीन के भी 40 से अधिक जवानों के शहीद होने की रिपोर्ट सामने आ रही है। हालांकि चीन ने इस बारे में अब तक आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है। लेकिन अब इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसके मुताबिक, चीन की सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी को डर है कि अगर यहां लोगों को इस बारे में पता चल जाता है तो सरकार के खिलाफ बगावत हो सकती है।

PLA में पनप रहा असंतोष

शहीदों को सम्‍मान नहीं देने से पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) में जहां असंतोष पनप रहा है, वहीं पूर्व सैनिकों में भी इसे लेकर रोष है, जो पहले से ही कई अन्‍य वजहों से सरकार ने नाराज हैं। ऐसे में वे सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं। चीन में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के एक पूर्व नेता के बेटे जियानली यांग का कहना है कि पीएलए लंबे समय से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ताकत का आधार स्तंभ रहा है और सरकार के फैसलों से अगर इस समय कार्यरत कैडर्स की भावना आहता होती है और वे लाखों पूर्व सैनिकों के साथ खड़े हो जाते हैं तो शी जिनपिंग की सत्ता को बड़ी चुनौती मिल सकती है।

गलवान पर खुलासा

सिटिजन पावर इनीशिएटिव फॉर चाइना के संस्थापक और अध्यक्ष जियानली यांग ने 'वाशिंगटन पोस्ट' में लिखे एक लेख में इसका जिक्र किया है। साथ ही उन्‍होंने गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ हुई झड़प में चीनी सैनिकों के हताहत होने के बारे में अब तक आधिकारिक तौर पर इसे स्‍वीकृत नहीं करने के बारे में कहा है कि चीनी प्रशासन को डर है कि इस स्‍वीकारोक्ति से कि प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले चीन के अधिक सैनिक हताहत हुए हैं तो इससे न केवल लोगों का मनोबल कमजोर होगा, बल्कि इससे यहां प्रशासन के खिलाफ विद्रोह हो सकता है, जिससे सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी को चुनौती मिलेगी।

पूर्व सैनिकों में भड़क रहा आक्रोश

यांग ने लिखा कि गलवान घाटी में हिंसक सैन्‍य झड़प के बाद भारत ने जहां पूरे सम्मान के साथ अपने सैनिकों की कुर्बानी को याद किया, वहीं चीन ने अपने हताहत सैनिकों के बारे में सार्वजनिक तौर पर जानकारी देने तक से इनकार दिया। ऐसे में उन रिटायर्ड सैनिकों की स्थिति को आसानी समझा जा सकता है, जिन्‍होंने 1979 के चीन-वियतनाम युद्ध या कोरिया युद्ध में हिस्‍सा लिया, लेकिन उन्‍हें आज तक वह सम्‍मान नहीं हासिल हो पाया, जिसके वे हकदार हैं। पेंशन सहित कई चीजों को लेकर वे लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, जिस पर प्रशासन लगातार दबाव बना रहा है। उन्‍होंने लिखा कि शी जिनपिंग प्रशासन का मौजूदा रवैया पीएलए के 5.7 करोड़ पूर्व सैनिकों के दिलों-दिमाग में आक्रोश भड़का रहा है।

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