Ranil wickremesinghe : श्रीलंका में नए राष्ट्रपति का चुनाव हो गया है। बुधवार को सांसदों ने पीएम रानिल विक्रमसिंघे को देश का अगला राष्ट्रपति चुन लिया। विक्रमसिंघे के कंधों पर अब देश को अपूतपूर्व राजनीतिक एवं आर्थिक संकट से उबारने की जिम्मेदारी होगी। हालांकि, हाल के प्रदर्शनों में लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा भी देखने को मिला है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुई वोटिंग में विक्रमसिंघे ने दुल्लास अल्हापेरूमा को हराया। विक्रमसिंघे के पक्ष में 134 सांसदों एवं दुल्लास के समर्थन में 82 सांसदों ने वोट किया। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भाग जाने के बाद यह चुनाव हुआ है। गोटाबाया देश छोड़कर पहले मालदीव और फिर सिंगापुर गए। सिंगापुर पहुंचने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।
राष्ट्रपति रानिल के सामने होंगी कई चुनौतियां
आर्थिक हालात बिगड़ जाने पर श्रीलंका ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। देश में महंगाई चरम पर है। खाने-पीने की चीजें, दवाएं, पेट्रोल-डीजल आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं। विरोध-प्रदर्शन शुरू होने के बाद गत मई में रानिल को देश का पीएम चुना गया। पीएम चुने जाने पर उन्होंने देश की संसद को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीलंका बहुत ही कठिन हालात का सामना कर रहा है और आगे अभी बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। राष्ट्रपति रानिल के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती देश में राजनीतिक स्थिरता कायम करने और महंगाई पर नियंत्रण पाने की होगी।
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सीधे तौर पर हुआ राष्ट्रपति का चुनाव
श्रीलंका की संसद 44 वर्षों में पहली बार बुधवार को त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव करेगी, जिसमें अंतिम क्षणों में राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर दुल्लास अल्हाप्पेरुमा की बढ़त का संकेत मिलता है। विपक्षी दलों के साथ-साथ उनकी मूल पार्टी के अधिकतर सांसदों का उन्हें समर्थन है। इस चुनाव में छोटे दलों की भूमिका काफी अहम रही है। श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता सजिथ प्रेमदासा ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि वह इस पद के लिए प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार डलास का समर्थन कर रहे हैं।