इस्लामाबाद: असीम बाजवा की पहचान दो वजहों से है पहले तो वो पाकिस्तानी सेना में बड़े ओहदे पर रहे हैं और दूसरी तरफ पीएम इमरान खान के विश्वस्त सहयोगी भी। बाजवा के नाम पर तरह तरह की खबरें आती रही हैं वो भ्रष्टाचार के सागर में डूबे हुए हैं, हालांकि उन्होंने सीपीईसी अथॉरिटी के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि असीम बाजवा जब पाकिस्तानी फौज में थे तो वो भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी बड़ी बातें किया करते थे। उन्होंने एक बार कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जाएगा। इसका अर्थ यह था कि पाकिस्तानी फौज या शासन सत्ता करप्शन से फ्री होगा।
बाजवा ने उम्मीदों को तोड़ा
असीम बाजवा की इस तरह के बयानों पर लोग यकीन भी कर रहे थे। लेकिन जब उनसे संबंधित खबरें आने लगी कि किस तरह से सेना में रहते हुए उन्होंने अपने पद का बेजा इस्तेमाल करते हुए अपनी तिजोरी भरी उसके बाद माहौल उनके खिलाफ होने लगा। खासतौर से सीपीईसी में उनकी भूमिका पर सवाल उठने लगे। इस तरह के आरोप लगे कि एक तरफ बाजवा करप्शन फ्री देश की बात करते हैं तो दूसरी तरफ वो खुद उसी व्यवस्था के भागीदार हैं।
असीम बाजवा के खिलाफ हुए प्रदर्शन
पाकिस्तान के विपक्षी दल आरोप लगाना शुरू कर दिए कि आखिर इमरान खान असीम बाजवा पर इतने मेहरबान क्यों हैं। बाजवा के खिलाफ जब लोग सड़कों पर उतरने लगे तो इमरान खान सरकार के लिए बाजवा का बचाव करना मुश्किल हो गया। खासतौर से पीओके में बाजवा के खिलाफ आरोप लगे कि सीपीईसी के नाम पर उन्होंने चीन से सौदेबाजी की और उसका खामियाजा वहां के स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।