Ukraine crisis and Indian Students: यूक्रेन में अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फंसे हुए और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच भारत सरकार ने आज कुछ नए कंट्रोल रूम नंबर और एक नया ट्वीटर हैंडल भी यहां फंसे लोगों के लिए जारी किया है। Ukraine के kyiv मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में फंसी छात्रा Avantika Bhatt ने बताया कि जंग के माहौल में उन छात्र-छात्राओं का गुज़ारा कैसे हो रहा है जिनका अभी तक Indian Embassy से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है। वहीं दूसरी तरफ़ Ukraine-स्लोवाकिया बॉर्डर से भारतीय छात्र Shakib ने बताया कि कितनी दूर-दूर से लोग कई मुश्किलों का सामना करके बॉर्डर तक पहुंचे है।
भारतीय मेडिकल छात्रा अवंतिका भट्ट ने बताया, 'हम लोग कीव यूनिवर्सिटी के मेडिकल हॉस्टल में हैं। अभी हम लोग वैसे रात में 5 बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक यूनिवर्सिटी के बेसमेंट में रहते हैं। दिन में माहौल थोड़ा ठीक होने पर रूम में आ जाते हैं। वहां थोड़ा खा लेते हैं। पानी बिल्कुल खत्म हो गया है। मतलब कंडीशन बहुत खराब है यहां पर। एंबेसी से हमारा संपर्क नहीं हो पा रहा है, हम कोशिश कर रहे हैं सोशल मीडिया के माध्यम से भी कॉन्टेक्ट करने की। यहां अब रशियन ट्रूप्स आ चुके हैं और यहां पर कर्फ्यू लग गया है। हमें पता है कि राजधानी तक पहुंचने में सरकार को थोड़ा समय लगेगा लेकिन सरकार पर भरोसा है।' अवंतिका ने बताया कि कैसे स्थानीय लोग अपने अपार्टमेंट्स को खाली कर बंकरों में शिफ्ट हो चुके हैं।
ये भी पढ़ें: Ukraine Crisis पर PM ने की अहम सुरक्षा बैठक, फंसे भारतीयों की मदद के लिए बनाया नया ट्विटर हैंडल
वहीं एक अन्य छात्र शकीब ने बताया, 'अभी हम लोग स्लोवाकिया के बॉर्डर पर हैं। एंबेसी वाले अभी आए हैं। बसों का वेट कर रहे हैं। हमारे साथ करीब 200 छात्र हैं। हमें यहां प्रोसेस पूरा करने में हमें 20 घंटे लगे। भारतीय एंबेसी को धन्यवाद देते हैं जिनसे हमें बहुत हेल्प मिली। हमारे कॉल उन्होंने सही समय पर उठाए। हमें पुलिस वाले वीडियो बनाने से यहां रोक रहे हैं। यहां पर प्रोजिसर बहुत लंबा है और माइनस 4 डिग्री टेंपरेचर है। यहां पर नाइजीरियन, पोलिश, इजीप्ट, मोरक्को जैसे कई देशों के छात्र हैं लेकिन सबसे अच्छा रिस्पॉन्ड भारत सरकार कर रही है। नाइजीरियन तो सबसे ज्यादा पैनिक हैं उनकी सरकार से उन्हें ज्यादा हेल्प नहीं मिल पा रही है।'
आदर्श राय नाम के एक भारतीय छात्र ने बताया, 'मैं रात को एक बजे स्लोवेकियन बॉर्डर पर पहुंचा लाइन में खड़ा रहा काफी देर इंतजार किया और मेन गेट तक पहुंचने में आठ बज गए लेकिन उन्होंने हमें एंट्री नहीं दी। फिर एंबेसी से बात हुई। फिर उन्होंने कहा कि 10 बज जाएंगे और अब जाकर एंबेसी के लोग आए हैं जो हमें लेकर जाएंगे। यहां रिफ्यूजी कैंप बने हुए हैं जहां खाना पीना भी यूक्रेन सरकार द्वारा मिल रहा है। हमें उम्मीद है कि यहां से अपने देश पहुंचने में हमें तीन से चार दिन लग सकते हैं। हमें बताया गया है कि हम ये सीधे स्लोवाकिया स्थित भारतीय एंबेसी जाएंगे और उसके बाद हमारी घर वापसी होगी।'
ये भी पढ़ें: रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत को क्या मिला सबक, कितनी जरूरी है 'आत्मनिर्भरता'? जानिये क्या कहते हैं एक्सपर्ट