मास्को : अमेरिका से तनाव के बीच रूस ने के-329 बेलगोरोड पनडुब्बी को पहली बार समुद्र में उतारा है। बताया जाता रहा है कि रूस ने इसे किसी खुफिया मिशन पर भेजा है। बीते 30 साल में यह की सबसे बड़ी पनडुब्बी है, जिसकी लंबाई करीब 604 फुट है। इसे 2019 में लॉन्च किया गया था, जिसके बाद यह समुद्र में इसका पहला मिशन है। यह पनडुब्बी परमाणु बम सहित कई तरह के अत्यानुधिक हथियारों से लैस है।
बेलगोरोड पनडुब्बी अभी आधिकारिक तौर पर रूसी नौसेना का हिस्सा नहीं है। इस जहाज के संचालन की कमान फिलहाल रूस के खुफिया सेवा, अंडरवाटर रिसर्च के मुख्य निदेशालय के हाथों में है। रूस का यह खुफिया संस्थान दुनियाभर में दुश्मनों की खुफिया जानकारी जुटाने के लिए मशहूर है। के-329 बेलगोरोड पनडुब्बी को पहली बार समुद्र में उतारे जाने के बाद अमेरिका और नाटो के देश सतर्कतापूर्वक इस पर नजर बनाए हुए हैं।
हाल के कुछ रूसी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि इस पनडुब्बी की तैनाती प्रशांत क्षेत्र में होगी। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें छह टॉरपीडो लगे हैं, जिनमें से हर एक दो मेगाटन तक का परमाणु विस्फोट करने की क्षमता रखता है। यह द्वतीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में अमेरिका द्वारा गिए गए परमाणु बम के मुकाबले 130 गुना अधिक है।
दुनिया की इस सबसे बड़ी पनडुब्बी में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें भी लगी हैं, जो प्रशांत क्षेत्र में तैनाती के बाद अमेरिका के कई शहरों को निशाना बना सकती है। प्रशांत क्षेत्र में तैनात रहते हुए यह पनडुब्बी वाशिंगटन डीसी और न्यूयॉर्क जैसे अमेरिका के बड़े शहरों को तबाह कर सकती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस पनडुब्बी में जो टॉरपीडो लगे हैं, वे पानी के भीतर भी विस्फोट कर सकते हैं।
के-329 बेलगोरोड पनडुब्बी में 79 फुट लंबा पोसीडॉन टारपीडो लगा है। यह अगर समुद्र में पानी के भीतर विस्फोट करता है तो रेडियोधर्मी सुनामी आ सकती है और समुद्र के किनारे बसे शहरों के लोग वर्षों तक इसके संपर्क में आ सकते हैं। विस्फोट की स्थिति में समुद्र में 300 फीट ऊंची लहरें उठ सकती हैं। पानी के भीतर यह मानव रहित वाहन के रूप में काम करता है और दुश्मन के इलाकों में जाकर खुफिया जानकारी जुटा सकता है।