Salman Rushdie Attack: अंग्रेजी के जाने-माने लेखक सलमान रुश्दी हमले के बाद फिलहाल वेंटिलेटर (जीवन रक्षक प्रणाली) पर हैं। वह कुछ बोल भी नहीं पा रहे। यह जानकारी उनके एजेंट एंड्रयू वायली ने ब्रिटिश न्यूज एजेंसी बीबीसी को दी। उन्होंने यह आशंका भी जताई कि हमला जिस तरह से किया, उस लिहाज से रश्दी एक आंख भी खो सकते हैं। ‘चाकू से हमले’ की वजह से उनकी बांह की नसें टूट गई हैं व उनके लीवर को भी नुकसान पहुंचा है। एजेंट के मुताबिक, यह ‘‘खबर अच्छी नहीं है’’।
हमलावर के बारे में सामने आई ये बातें
न्यू यॉक स्टेट पुलिस के मेजर यूजीन स्टेन्सजेस्वकी ने पत्रकारों को बताया कि हमलावर की शिनाख्त 24 साल का हादी मतार (Hadi Matar) यूएसए में न्यू जर्सी के फेयरव्यू का रहने वाला है। माना जा रहा है कि वह इस हमले के पीछे अकेला ही था। हादी के सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए शुरुआती तौर पर पता चला है कि वह "शिया चरमपंथ" और ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूश्नरी गार्ड (आईआरजीसी) को लेकर झुकाव रखता है। हालांकि, फिलहाल उसका आईआरजीसी से सीधा कोई कनेक्शन नहीं मिला है। जांच अफसर उसकी नागरिकता और क्रिमिनल रिकॉर्ड्स की पड़ताल में जुटे हैं।
रश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान- डॉक्टर
अमेरिकी अखबार 'NYT' के मुताबिक, रुश्दी जिस कार्यक्रम में संबोधित करने वाले थे, वहां मौजूद एंडोक्रिनोलॉजिस्ट रीटा लैंडमैन ने मंच पर जाकर रुश्दी का प्राथमिक उपचार किया था। रीटा ने कहा कि रुश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान थे, जिनमें से एक उनकी गर्दन के दाहिनी ओर था और वह खून से लथपथ पड़े थे। पर वह जीवित लग रहे थे और सीपीआर नहीं ले रहे थे। रीटा ने कहा, ‘‘ वहां मौजूद लोग कह रहे थे कि उनकी धड़कन चल रही है।’’
कैसे हुआ था हमला?
मुंबई में जन्मे और बुकर पुरस्कार से सम्मानित 75 साल के रुश्दी पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने वाले ही थे कि तभी हमलावर मंच पर चढ़ गया और रुश्दी को घूंसे मारने लगा। इस बीच, उसने चाकू से उन पर हमला कर दिया था। रुश्दी की गर्दन पर चोट आई। उस समय कार्यक्रम में उनका परिचय दिया जा रहा था। वह इसके बाद मंच पर गिर गए और उनके हाथों में खून लगा देखा गया। लोगों ने फौरन हमलावर को पकड़ लिया और बाद में उसे हिरासत में ले लिया गया। न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने कहा कि उन्हें हेलीकॉप्टर से सुरक्षित जगह ले जाया गया।
UN महासचिव हमले से स्तब्ध
लेखक रुश्दी को साल 1988 में आई किताब ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ लिखने के बाद वर्षों तक इस्लामी चरमपंथियों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा था। यह एक अप्रत्याशित घटना के लिए सही समय पर सही जगह पर होने का एक उल्लेखनीय उदाहरण था। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बारे में जानकर ‘‘स्तब्ध’’ हैं। साथ ही गुतारेस ने कहा कि राय जाहिर करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हुए बोले गए या लिखे गए शब्दों की प्रतिक्रिया में हिंसा किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)