Sri Lanka Crisis:  दुश्मन एक, चुनौती तीन... कैसे निपटेगा भारत ?

दुनिया
सुनील पटेल
सुनील पटेल | Senior Correspondent
Updated Jul 15, 2022 | 15:24 IST

श्रीलंका का संकट गहराता जा रहा है। गोटाबाया राजपक्षे ने भले ही इस्तीफा दे दिया हो लेकिन नए कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की मुश्किलें भी कम नहीं हैं।

Sri Lanka Crisis Enemy one and challenge three how will India deal with it
बर्बादी की राह पर आज श्रीलंका, कल आ सकता है पाकिस्तान का नंबर  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • श्रीलंका संकट से एशियन देशों पर क्या असर पड़ेगा ?
  • चीन के दखल को रोकने भारत को चाहिए विशेष रणनीति
  • बर्बादी की राह पर आज श्रीलंका, कल आ सकता है पाकिस्तान का नंबर

श्रीलंका में संकट बढ़ता जा रहा है और जनता ने जिस तरह विद्रोह किया है, उससे पड़ोसी देशों की भी परेशानी बढ़ गई है। गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है लेकिन श्रीलंका में प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं हैं। राष्ट्रपति भवन फिर पीएम ऑफिस पर कब्जा कर चुके प्रदर्शनकारी गोटाबाया और विक्रमसिंघे दोनों के ही हाथ सत्ता की चाबी नहीं चाहते। कोलंबो में डटे विद्रोहियों का कहना है कि जब तक दोनों इस्तीफा नहीं देते उनका विरोध जारी रहेगा। 

आज श्रीलंका, कल पाकिस्तान ?

जिस राह पर आज श्रीलंका है, क्या कल उस पर पाकिस्तान होगा ? ये सवाल इसलिए कि पाकिस्तान में भी बेतहाशा महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता से हालात खराब है। जिस तरह से हालात खराब होते गए, महंगाई बढ़ती गई और ऐसे में जनता को सड़कों पर उतरना पड़ा। उसी तरह की परिस्थितियां पाकिस्तान में भी बन सकती है अगर जल्द ही शाहबाज सरकार ने सही कदम नहीं उठाए क्योंकि जो मौजूदा स्थिति है वो अनुकूल नहीं है।

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भारत के पड़ोसी देशों की परेशानी

हिंदुस्तान के इन दोनों ही पड़ोसी मुल्कों श्रीलंका और पाकिस्तान में मौजूदा वक्त में क्या परेशानियां हैं, एक बार उन पर भी गौर करते हैं-

  1. तेजी से बढ़ती महंगाई
  2. मुद्रा की घटती कीमत
  3. विदेशी मुद्रा भंडार की कमी
  4. राजनीतिक अस्थिरता
  5. पेट्रोल-डीजल की कमी

चीन ने श्रीलंका-पाक को बर्बाद किया ?

श्रीलंका और पाकिस्तान की इस हालत का जिम्मेदार है चीन। जिसने पाकिस्तान को खोखला कर दिया है और श्रीलंका को बर्बाद करने के पीछे भी उसी चीन को वजह माना जा रहा है। चीन के भारी निवेश और मोटी ब्याज दर पर कर्ज की वजह से श्रीलंका और पाकिस्तान की आर्थिक तौर पर कमर टूट गई है। चीन के शिकंजे में आते ही पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्था दम तोड़ रही है। राजनीतिक और आर्थिक हालत भी काफी खराब है। ऐसे में आर्थिक प्रगति की पटरी से उतरे ये देश बदहाली की कगार पर पहुंच चुके हैं। 

नई सरकार कैसे संभालेगी हालात ?

श्रीलंका की नई निर्वाचित सरकार आती है तो समाधान के लिए आएगी। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि IMF भी श्रीलंका को कर्ज देने को तैयार हो जाएगा। भारत ने भी क्रेडिट लाइन दी हुई है।' लेकिन सवाल ये भी है कि नई सरकार भले ही तुरंत हालात ना सुधार पाए मगर आने वाले वक्त में वर्ल्ड बैंक के साथ बाकी देशों की मदद से श्रीलंका की स्थिति सुधर सकती है।

भारत के सामने क्या चुनौती ?

पड़ोसी देश होने के नाते श्रीलंका की इस हालत से कहीं ना कहीं भारत पर भी असर पड़ सकता है। मानवीय आधार पर भी भारत श्रीलंका को मदद कर रहा है। भारत ने श्रीलंका को पेट्रोल-डीजल, अनाज और दवाओं की सप्लाई की है। विशेषज्ञों का कहना है कि 'श्रीलंका में खेती को बढ़ाने के लिए भारत मदद कर रहा है, 40 हजार टन यूरिया भी श्रीलंका भेजा जा रहा है। पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी लगातार भारत सरकार को मदद के लिए धन्यवाद दे रहे हैं साथ ही मित्र देश होने के नाते इस सहयोग के लिए मोदी सरकार की तारीफ कर रहे हैं।

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सिर्फ मदद से क्या भारत श्रीलंका संकट को शांत कर पाएगा? ये पुख्ता तौर पर तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता लेकिन हां लगातार प्रयासों से ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। श्रीलंका हो या पाकिस्तान दोनों में ही राजनीतिक संकट की वजह से ऐसे हालात बन रहे हैं। अब भारत के सामने अपने पड़ोसियों को इस संकट से निकालने की चुनौती है। चीन ने जो बर्बादी का बीज बोया है, वो तो पेड़ बनने लगा है लेकिन श्रीलंका और पाकिस्तान से आगे उसकी जड़ों को फैलने से रोकना होगा।

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