संयुक्त राष्ट्र : अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान के बढ़ते प्रभाव ने कई तरह की सुरक्षा चिंताओं को जन्म दिया है। इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक भी हुई। भारत द्वारा 1 अगस्त को सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाले जाने के बाद अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात पर पहली बार शुक्रवार को UNSC की बैठक हुई, जिसमें अफगान राजनयिक ने बताया गया कि पाकिस्तान किस तरह तालिबान को मदद पहुंचा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकजई ने बैठक के दौरान कहा कि पाकिस्तान, तालिबान को न केवल सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करा रहा है, बल्कि जंगी मशीनों तक की आपूर्ति कर रहा है, जबकि रसद लाइन की सुविधा भी मुहैया करा रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की सीमा में दाखिल होने के लिए डूरंड रेखा के करीब तालिबान लड़ाकों के जमावड़े और पाकिस्तानी अस्पतालों में घायल तालिबान लड़ाकों के इलाज की तस्वीरें और वीडियो व्यापक रूप से उपलब्ध हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की इस तरह की गतिविधियों के कारण हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में सामान्य हालात बहाल करने को लेकर पाकिस्तान के साथ सहयोगात्मक संबंधि बनाने की दिशा में विश्वास और कम हो रहा है। अफगान राजनयिक ने तालिबान को लेकर पाकिस्तान की इन गतिविधियों को 1988 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध आदेश का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि पारस्परिक सम्मान के आधार पर मैत्रीपूर्ण संबंधों और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर जोर दिया।
सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान अफगान राजनयिक ने पिछले महीने ताशकंद में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते का करते हुए पाकिस्तान से तालिबान को मिलने वाले सुरक्षित पनाहगाहों और आपूर्ति लाइनों को हटाने तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व शांति स्थापना के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास के तहत मिलकर काम करने की अपील की। उन्होंने दोहराया कि अफगानिस्तान संप्रभुता के पारिस्परिक सम्मान के आधार पर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में यकीन करता है।