इस युद्ध का अभी अंत नहीं! यूक्रेन पर रूसी हमले के 30 दिन, बर्बाद हुए शहर, बेघर हुए लोग  

दुनिया
आलोक राव
Updated Mar 24, 2022 | 08:28 IST

Russia Ukraine war : रूस-यूक्रेन युद्ध की परिणति किस रूप में होगी अभी इसके बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं महासभा में रूस के खिलाफ कई प्रस्ताव आए हैं। इनमें से कुछ प्रस्ताव पारित भी हुए हैं लेकिन ये प्रस्ताव रूस पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगा पाए हैं।

Thirty days of russia Ukraine war no end in sight
यूक्रेन में जारी हैं रूसी सेना के हमले। सभी फोटो-AP  |  तस्वीर साभार: AP

Russia Ukraine war : यूक्रेन पर रूस के हमले का आज एक महीना हो गया है। गत 24 फरवरी को रूस की सेना ने यूक्रेन में दाखिल हुई और उसने हमले करने शुरू किया। इन तीस दिनों की लड़ाई में यूक्रेन में भयंकर तबाही और बर्बादी हुई है। लाखों की संख्या में लोग पलायन कर गए हैं। शहर खंडहर और मलबे में तब्दील हुए हैं। बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिक एवं बच्चों के मारे जाने की खबर है। मारियुपोल सहित कुछ शहरों पर रूस का कब्जा हो गया है लेकिन राजधानी कीव पुतिन की पकड़ से अभी भी बाहर है। 

रूस को लगता था कि उसकी सैन्य ताकत से घबराकर यक्रेन चंद दिनों में अपने घुटने टेक देगा लेकिन उसकी यह सोच गलत साबित हुई। हमले के शुरुआती हफ्ते में रूस ने शहरों के चुनिंदा ठिकानों पर हमले किए लेकिन जब इससे बात बनती नहीं दिखी और यूक्रेन की सेना ने जब उसका बहादुरी से सामना किया तो उसने शहरों पर मिसाइलों, आर्टिलरी से हमले एवं बमबारी शुरू की। रूस ने जब शहरों में हमल तेज किए तो उसकी जद में नागरिक प्रतिष्ठान, अस्पताल, चर्च एवं लोगों के आवास आए। 

russia Ukraine war

दावा है कि रूस ने यूक्रेन पर 'वैक्कयूम बम' जैसे घातक हथियारों का इस्तेमाल किया है। 30 दिन बाद भी यूक्रेन-रूस युद्ध का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। यह लड़ाई तीसरे विश्व युद्ध एवं परमाणु हमले जैसा कि पुतिन धमकी दे रहे हैं, शुरुआत कर सकती है। बहरहाल, रूस के इन हमलों में यूक्रेन में भयंकर तबाही हुई है। उसके सैन्य प्रतिष्ठान तबाह एवं परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचा है। बुनियादी संरचना एवं औद्योगिक इकाइयां नष्ट हुई हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की मानें तो हमलों में बच्चों सहित हजारों नागरिकों की मौत हुई है। 

ऐसा नहीं है कि इस लड़ाई की कीमत केवल यूक्रेन को चुकानी पड़ी है। रूस का भी नुकसान हुआ है। यूक्रेन का दावा है कि उसने करीब 14,000 रूसी सैनिकों को मार गिराया है। उसकी ओर से बड़ी संख्या में रूसी टैंकों, फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर, आर्मर्ड वेहिकल एवं  ऑर्टिलरी को नष्ट करने का दावा किया गया है। अमेरिका का भी अनुमान है कि इस युद्ध में रूस के करीब 7000 सैनिक मारे गए हैं। 

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संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से 36 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़कर जा चुके हैं और 65 लाख लोग देश में ही विस्थापित हुए हैं। मारियुपोल जैसे शहरों में बड़ी संख्या में लोग अभी भी फंसे हुए हैं। बिजली, गैस, राशन, मेडिकल सुविधाएं न मिलने से इन शहरों में मानवीय संकट पैदा हो गया है। रेडक्रास जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इन शहरों में राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन हालात उन्हें अपना काम करने से रोक रहे हैं।    

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यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक एवं राजनीतिक प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि, इन प्रतिबंधों का असर रूस पर नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रतिबंधों का असर मास्को पर बाद में दिखना शुरू होगा। आने वाले समय में रूस की अर्थव्यवस्था पर इन प्रतिबंधों का असर होगा और वह मंदी के दौर में जा सकती है। रूस ने साफ कर दिया है कि जब तक उसके लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाते तब तक वह यूक्रेन पर हमले नहीं रोकेगा। 

बहरहाल, इस युद्ध की परिणति किस रूप में होगी अभी इसके बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं महासभा में रूस के खिलाफ कई प्रस्ताव आए हैं। इनमें से कुछ प्रस्ताव पारित भी हुए हैं लेकिन ये प्रस्ताव रूस पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगा पाए हैं। भारत ने अभी तक इस मामले में किसी का पक्ष नहीं लिया है। उसने तटस्थ रुख अपनाया है। भारत का कहना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध का समाधान बातचीत एवं कूटनीतिक तरीके से होना चाहिए। जाहिर है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। समस्या एवं गतिरोध का अंत सार्थक बातचीत एवं समझौतों से होता है। रूस और यूक्रेन दोनों को इसी रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए।   

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